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What is PIL ? How to file a PIL without a lawyer

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What is PIL ? How to file a PIL without a lawyer जनहित  याचिका क्या हैं? बिना वकील के जनहित याचिका कैसे लगाई जाती है,

लोकहितवाद/जनहित याचिका (PIL) क्या है – अगर आप अपने आस-पास में घटित होने वाली सभी  घटनाओं से परिचत हैं एवं निराश  या परेशान है कुछ बदलाव लाना चाहते है इस सबको बदलना चाहते हैं पर आप समझ नही पा रहे की आप कैसे करें  या ऐसा लग रहा है कि सरकार कि नीतियों से या अन्य माध्यमों से  मानवाधिकार का उल्लंघन हो रहा हैं  या किसी को अपना अधिकार नही मिल रहा  हो, सामाजिक अन्याय तथा  भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा हो। अगर आप इन सब बातों पर गहन चिंतन करते हैं तथा बदलाव लाने की इछा रखते हैं  तो आपको जनहित याचिका के बारे मे ज़रूर जानना चाहिए । जनहित याचिका  समाज के जागरूक लोगों के लिए जो कानून के माध्यम से समाज को ठीक करना चाहते है, बदलाव लाना चाहते हैं  उनके लिए यह एक बहुत ही उपयोगी हथियार साबित होता है । आइए आगे जनहित याचिका के बारे में पूरी जानकारी साझा करते  है –

लोकहितवाद/जनहित याचिका (PIL) क्या है ?
जनहित याचिका द्वारा भारतीय कानून में सार्वजनिक हित की रक्षा हेतु  मुकदमे का प्रावधान किया गया है है। सामान्य अदालती याचिकाओं में यह पाया जाता है की पीड़ित  पक्ष खुद अदालत जाकर याचिका दायर करता  है  पर जनहित याचिका में ऐसा नही है यह किसी भी नागरिक या स्वंय न्यायालय द्वारा पीड़ितों के पक्ष में दायर किया जा सकता हैं। जनहित याचिका में अब तक के बहुत से मामलों में सफलता प्राप्त हुयी  है, उदाहरण – कारागार बंदी, सशस्त्र सेना, बालश्रम, बंधुआ मजदूरी, शहरी विकास, पर्यावरण एवं संशाधन, उपभोक्ता संरक्षण, शिक्षा, राजनीति, चुनाव, जबाबदेही, मानव अधिकार आदि मामलों में समस्याओं का समाधान जाहित याचिका द्वारा किया गया है। न्यायिक प्रक्रिया और  जनहित याचिका का संबंध एक दूसरे से काफ़ी हद तक समानतायें  हैं। जनहित याचिका का अधिकतर माध्यम वर्ग ने स्वागत किया है। उनके लिए यह अधिक उपयोगी एवं कारगर साबित हुयी है ।

सबसे पहले यह बात जान लेना बहुत ही महत्वपूर्ण हैं कि जनहित याचिका न तो भारतीय संविधान न ही  किसी अन्य कानून में परिभाषित की गयी है  है इसे  सुप्रीम कोर्ट के संवैधानिक व्याख्या से उत्पन्न किया गया  हैं। जनहित याचिका की  उत्पत्ति का पूरा श्रेय सुप्रीम कोर्ट को  जाता हैं। सबसे अहम बात  यह है कि इसका कोई अन्तराष्ट्रीय समतुल्य भी नहीं है तथा  इसे भारतीय अवधारणा के बारे मे देखा जाता हैं। इस प्रकार की याचिकाओं का विचार सबसे पहले अमेरिका में आया था, वही इसकी सुरुआत हुयी वहां पर इसे सामाजिक कार्यवाही याचिका के रूप में जाना जाता हैं। ऐसा कह सकते हैं कि इसका आविष्कार न्यायपालिका द्वारा किया गया हैं तथा  यह एक न्यायधीश निर्मित विधि हैं ऐसा माना जाता है कि भारत में जनहित याचिका के जनक न्यायाधीश श्री पी. एन. भगवती हैं जिन्होंने जनहित याचिकाओं कि स्वीकृति हेतु बहुत सारे नियम बनाए थे और कहा था कि पोस्टकार्ड लिख कर भेज दीजिए उसे भी याचिका के रूप में माना जाएगा।

जनहित याचिका के नियम-

  1. लोकहित से प्रेरित कोई भी व्यक्ति, संगठन द्वारा इसे लाया जा सकता हैं।
  2. न्यायालय में याचिका के रूप में भेजा गया पोस्टकार्ड भी याचिका मान कर स्वीकार किया जा सकता हैं।
  3. न्यायालय को यह अधिकार भी है कि यदि वह चाहे तो  याचिका हेतु सामान्य कोर्ट शुल्क भी माफ कर दे।
  4. यह राज्य के साथ ही व्यक्तिगत एवं निजी संस्थानों के विरुद्ध भी लगायी जा सकती हैं।
    पीआईएल से जुड़े मुद्दे

जनहित याचिका के प्रारूप की प्रक्रियाएँ  –

  • सुप्रीम कोर्ट ड्राफ़्ट में पेटीशनर का नाम एवं  डिफ़ेंडेंट का नाम होना  चाहिए ।
  • ड्राफ़्ट को भारत के चीफ जस्टिस को प्रेषित किया जाना चाहिए।
  • आवश्यक घटना को भरने हेतु ड्राफ़्ट के सबजेक्ट में सभी मुख्य बिंदु दर्शाते हुए पर आगे बढ़ें।

जनहित याचिका के लिए आवश्यक दस्तावेज-

  1. मामला दर्ज करने के लिए एक जनहित वकील या एसोसिएशन से अनुरोध कर सकते हैं ।
  2. मुख्य विंदु जैसे टाइटल डीड ,वेरिफिकेशन ऑफ रेजीडेंस ,आइडेंटिटी प्रूफ , इन्फार्मेशन,रिहैबिटेशन पालिसी कोई हो, तथा  बेदखली (Eviction) की तस्वीरें भी एकत्र करें।
  3. अदालत के पास सभी सफरिंग व्यक्तियों  के नाम एवं  एड्रेस की सूची बनाकर ज़रूर दें ।
  4. सरकारी अधिकारियों के नाम एवं  एड्रेस की लिस्ट जिनसे रिलीफ़ की पूछताछ की जाती है साथ संलग्न करना न भूलें ।
  5. बेसिक राइट के उल्लंघन (Violation) यदि हुआ है तो  को बोर्न करने वाली घटनाओं की लिस्ट बनाकर साथ लगाएँ ।
  6. और याचिका से सम्बंधित अवश्यक साक्ष्य एवं संबंधित अन्य महत्वपूर्ण डिटेल जो आपको उपयोगी लेगें संलग्न करें ।
  7. याचिका में कोर्ट से मांगी जा रही रिलीफ़ का उल्लेख अवस्य करें।

जनहित याचिका से लाभ-

इस प्रकार कि याचिकाओं द्वारा  जनता में स्वंय के अधिकारों का पता चलता है एवं न्यायपालिका के कार्य एवं कि भूमिका के बारे में भी जागरूकता बढती हैं। साथ ही साथ यह मौलिक अधिकारों के क्षेत्र को बढ़ावा देता है एवं व्यापक रूप प्रदान करता हैं।जिससे  व्यक्ति को नए-नए अधिकार प्राप्त होते  हैं। तथा अन्य लोगों के जीवन में भी इसका अच्छा प्रभाव पड़ेगा जैसा कि हम  पिछले कुछ वर्षों से देखते आ रहें है ऐसी याचिकाएं कुछ हद तक  कार्यपालिका एवं विधायिका को उनके संवैधानिक कर्तव्य करने को बाधित भी करती हैं। सबसे अहम और खाश बात इस याचिका की यह है की यह भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन को सुनिश्चित करने में एक बड़ा कदम साबित होती है।

जनहित याचिका कौन और कैसे दायर कर सकता है –

कोई भी भारतीय नागरिक जनहित याचिका दायर कर सकता हैं शर्त सिर्फ़ इतनी है कि इसे निजी हित की बजाय सार्वजनिक हित में दायर किया जाना चाहिए। जिसका मतलब यादि कोई मुद्दा अत्यंत सार्वजनिक महत्व का है तो कोई भी न्यायालय ऐसे मामले को स्वतः भी  संज्ञान में ले सकता है अथवा  किसी भी व्यक्ति द्वारा ऐसे मामले को न्यायालय में उठाया जा  सकता हैं। या न्यायालय स्वंय इस प्रकार के मामले को स्वीकार कर वकील की नियुक्ति भी कर सकता हैं।

जनहित याचिका कौन से न्यायालय में दायर की जाती हैं-

जनहित याचिका केवल भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 के अंतर्गत सुप्रीम कोर्ट में व अनुच्छेद 226 के अंतर्गत हाई कोर्ट में ही दायर की जा सकती हैं।

जनहित याचिका दायर करने की प्रक्रिया क्या है –

जनहित याचिका दायर करने से पहले याचिकाकर्ता को संबंधित मामलों की पूरी जानकारी प्राप्त होनी  चाहिए यदि जनहित याचिका कई व्यक्तियो से सम्बंधित हो अथवा पूरी सोसायटी, समुदाय से संबंधित हो  तो याचिकाकर्ता को उन सभी व्यक्तियों से पहले परामर्श अवश्य कर लेना चाहिए तथा उनकी  सहमति भी ले लेना चाहिए। केस को मज़बूत बनाने के लिए सम्बंधित मामले से सम्बंधित सभी साक्ष्य पहले से ही जुटा लेना चाहिए सबसे महत्वपूर्ण एवं ध्यान ध्यान देने वाली बात यह है कि जनहित याचिका दायर करने वाला कोई आम व्यक्ति भी खुद  न्यायालय में बहस कर सकता है वकील रखने के लिए आप बाध्य नहीं हैं । परंतु  वकील को नियुक्त करना सही  मना जाता हैं क्योंकि वकील को कानूनी दाब पेच एवं प्रक्रिया का पूर्ण ज्ञान होता हैं तथा  वह आप को उचित मार्गदर्शन दे सकता हैं। जिसेसे आपका काम सही एवं उचित निर्णय तक पहुँचाया जा सकता है ।

हाई कोर्ट में दायर याचिका-

यदि आप जनहित याचिका हाई कोर्ट में दायर करते है तो आपको यह ज्ञात हो कि हमें दो कॉपी उस याचिका कि बनानी होती हैं जिसे आप कोर्ट में रखते हैं साथ ही याचिका की एक प्रति आपको अग्रिम  रुप से एक प्रतिवादी को भी भेजनी होती हैं।【प्रतिवादी वह होता हैं जिसके विरुद्ध आप याचिका दायर करते है】तथा इसका सबूत भी आपको याचिका में जोड़ना पडता हैं कि आपने एक प्रति प्रतिवाद को भेज दिया  है।

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका-

अगर  आप जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में लेकर जा रहे है तो आपको ज्ञात हो कि याचिका की पांच कॉपी कोर्ट में जमा करनी होगी इसमे जो भी प्रतिवादी हैं उनको जनहित याचिका कि कॉपी तभी भेजी जाती हैं जब सुप्रीम कोर्ट कोई नोटिस जारी करता है।उससे पहले नही ।

जनहित याचिका दायर करने का शुल्क-

जनहित याचिका लगने में अन्य न्यायालय के मुकदमों की फीस से बहुत कम शुल्क लगता हैं प्रत्येक प्रतिवाद के 50 रुपए शुल्क के हिसाब में देय  होता हैं। पूर्णरूप से कितना खर्च आएगा इसका अंदाज़ा इस पर निर्भर की आपको केस की पैरवी खुद करनी है या वकील रखना है, यदि वकील द्वारा करवाते है तो  वकील की फीस एवं उसके खर्च पर निर्भर करता है।यदि आप स्वयं पैरवी कर रहे है तो बहुत ज्यादा खर्च नहीं लगता हैं। आपका कम नाम मात्र के खर्चे में हो जाता है ।

क्या न्यायाधीश सभी जन याचिकाओं को स्वीकार करते है? 

यह न्यायाधीश पर निर्भर करता है कि वह आपकी याचिका को देखकर क्या राय बनाते है क्योंकि मुख्य न्यायाधीश ही याचिकाओ को स्वीकार करते हैं यह मामले आपके द्वारा उठये गये मामले या मुद्दे पर निर्भर करता है कि हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मामले को किस रूप में देखते हैं हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में किसी भी जनहित याचिका को स्वीकार करने की जो औसत दर है फिलहाल 30% – 60% तक ही सीमित है। यह आँकड़ा मामलों के स्वीकार करने के हिसाब से खुद भी लगाय जा सकता है आमतौर पर उन सभी जनहित याचिकाओं को स्वीकार कर लिया  जाता हैं जिसमें वर्णित तथ्यो से न्यायाधीश सहमत होते है तथा  उन्हें यह भी लगता हैं कि यह विषय बहुत ही महत्वपूर्ण है  तथा समाज एवं जनता के हित में इसे सुना जाना अनिवार्य है, या इस  फैसले से बदलाव आएगा जिससे जनता या समाज के लोगों पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा।तथा यह उनके हित में है। लोक हित के मुद्दों पर ज़ोर दिया जाता है।

जनहित  याचिका कि सुनवाई में समय-

यह मामले पर निर्भर करता है यदि कोई मामला ऐसा है जो अनेक  व्यक्तियो के जीवन से जुड़ा है जैसे प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता ,मौलिक अधिकारों से तो ऐसे मामले में न्यायालय द्वारा बहुत ही कम समय में सुनवाई कर ली जाती है, लेकिन जैसा कि सामान्य तौर पर देखा जा रहा है कि जनहित याचिका भी दिन प्रतिदिन बढती चली जा रही हैं। कुछ लोगों द्वारा अनवास्यक मुद्दों पर भी याचिका लगा दी जाती है संख्या अधिक होने के कारण मामलों की सुनवाई एवं निपटारो में कई वर्ष लग जाते है। हालांकि सुनवाई के दौरान यदि ज़रूरत लगे तो अदालत द्वारा अधिकारियों को कुछ कार्य करने के निर्देश दिए जाते हैं। न्यायालय द्वारा दोनों पक्षों की बात सुनकर हाई अंतिम निर्णय दिया जाता  है।

दुष्प्रभाव –

  • यह कानूनी व्यवस्था के संसाधनों हेतु न्याय का हास्यस्पद उपकरण बनता जा रहा  है, जो सार्वजनिक हित के नाम पर दायर की गई झूठी याचिकाओं में बढ़ोत्तरी कर रहा है।
  • इससे व्यक्तिवाद,व्यवसाय या राजनीतिक एजेंडे को बढ़ावा देने की प्रवृत्ति में भी काफ़ी बढ़ोतरी देखने को मिली हैं।
  • जनहित याचिका  ने स्वार्थपूर्ति  में  निहित हितों के उपयोगों  को जन्म दिया है।
  • जनहित याचिका  द्वारा आजकल ऐसे कम ही मुद्दों को उठाया जाता है जो वास्तव में लोकहित या वास्तविक कारणों के लिए  समर्पित होते हैं।
  • निजी स्वार्थ में दायर की गयी  याचिकाएँ न्यायिक प्रक्रिया की विश्वसनीयता के लिये भी गंभीर खतरा पैदा कर रही  हैं।
  • ऐसी अप्रासंगिक याचिकाएँ न ही सिर्फ़ न्यायालय के कीमती समय को भी बर्बाद करती हैं, वह भी ऐसे समय में  जब न्यायालय पर पहले से लंबित मामलों का अत्यधिक भार है और समय की कमी है ।

सुझाव – जैसा कि हम वर्तमान समय में देख रहे है कि जनहित  याचिकाओ का दुरुपयोग करने का भी प्रयास  किया जा  रहा है जिस  पर न्यायालय द्वारा जुर्माना लगा दिया जाता  है। कई व्यक्ति स्वयं या राजनीतिक लाभ हेतु  याचिका दायर कर देते  हैं, जिससे न्यायालय का समय का बर्बाद  होता है, इसलिए ध्यान रहे यदि आप किसी मामले में जनहित याचिका लगाना चाहते है तो सबसे पहली बात यह है कि मामले की पूरी एवं उचित जानकारी पहले से ले एवं जाँच परख लें दूसरी ध्यान देने योग्य बात यह है कि उस मामले का संबंध जनसाधारण  से एवं सार्वजनिक हित से जुड़ा होना चाहिये तथा  आम जनता के हितों में होना चाहिये एवं उसमे किसी भी प्रकार से स्वंय का व्यक्तिगत लाभ नहीं होना चाहिए। अन्यथा जनहित याचिका लगाने का कोई फ़ायदा नहीं हैं। आपकी मेहनत एवं कोर्ट का समय ही बर्बाद होगा कोई लाभ नही मिलेगा ।

आशा करते हैं हमारा लेख आपको पसंद आया होगा इस तरह के किसी अन्य मुद्दे पर जानकारी के लिए आप हमें ईमेल या कमेंट करके पूँछ सकते है ।
 धन्यवाद 
द्वारा – रेनू शुक्ला,  अधिवक्ता / समाजसेविका 

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Comments 2

  1. Ayaz Y. Khan says:
    4 years ago

    I’m social and RTI Activist and I’m not much educated and need your help plz share your Address

    Reply
    • Renu Shukla says:
      4 years ago

      Whatsapp – 8527921943

      Reply

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