Assam Second Marriage Rule: अब अपनी पत्नी के साथ रहने वाले ( शादी शुदा) सरकारी कर्मचारी अगर दूसरी शादी करना चाहते हैं, तो पहले उन्हें सरकार से लेनी होगी मंजूरी-
हाल ही में असम (Assam) की हिमंता बिस्वा सरमा सरकार द्वारा अपने कर्मचारियों के लिए एक ऐसा आदेश जारी किया गया है जो काफी चर्चा में है जिसमे सरकार ने एक आदेश जारी करते हुए यह कहा है कि अब सरकारी कर्माचारी बिना सरकार की परमीशन लिए दूसरी शादी नहीं कर पाएंगे ।
तो आइए इस पोस्ट के माध्यम से जानते हैं कि हिमंता सरकार के आदेश में ऐसा क्या है –
राज्य सरकार के आदेश में क्या कहा गया है?
रिपोर्ट के मुताबिक राज्य सरकार के द्वारा जारी किए गए आदेश में यह कहा गया है कि कर्मचारी द्वारा निर्देश का पालन नहीं किए जाने पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी, जिसमें अनिवार्य रिटायरमेंट को शामिल करने के साथ साथ कर्मचारी पर कानूनी तौर पर दंडात्मक कदम भी उठाए जाएंगे ।
राज्य सरकार द्वारा यह आदेश कार्मिक विभाग के कार्यालय ज्ञापन में 20 अक्टूबर को जारी किया गया है जिसमे ‘द्विविवाह’ टाइटल के साथ जारी किए गए ज्ञापन में यह कहा गया है आपको बात दें की यह आदेश असम सिविल सर्विसेज नियम, 1965 के आधार पर लागू किया गया है।
इस नियम के अंतर्गत जो सरकारी कर्मचारी अपनी पत्नी के साथ रह रहा है, अगर वो किसी दूसरी महिला से शादी करना चाहता है, तो उसे पहले सरकार से छूट लेनी होगी, सरकार द्वारा जारी इस नियम में यह भी साफ कहा गया है कि अगर किसी कर्मचारी का पर्सनल लॉ दूसरी शादी की छूट देता है, तब भी उस पर यह नियम लागू होगा ।
जारी किए गए आदेश के बारे में बात करते हुए असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि यह नियम तो पहले से ही बना हुआ था जिसको अब राज्य सरकार सरकारी कर्मचारियों पर लागू कर रही है ।
हमारी सेवाओं के नियमों के मुताबिक असम सरकार का कोई भी कर्मचारी दूसरी शादी तबतक नहीं कर सकेगा जबतक सरकार से इस बात की इजाजत न ले, अगर कुछ धर्मों में ऐसे नियम हैं, जिसमें दूसरी शादी की छूट दी गई है तो उस स्थिति में भी दूसरी शादी करने से पहले सरकार से परमीशन लेना अनिवार्य रहेगा ।
अब यह राज्य सरकार पर निर्भर करेगा कि वह आपको दूसरी शादी के लिए छूट देगी या नहीं, यह फैसला इस बात को ध्यान मे रखते हुए लिया गया है जैसे हमें आम तौर पर कई ऐसे कई मामले देखने को मिलते हैं, जिसमें किसी सरकारी कर्मचारी की मौत के पश्चात उसकी दो पत्नियां पेंशन के लिए आपस में लड़ती हुई मिलती हैं, हमें ऐसे विवादों को निपटाने में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, मौजूदा वक्त में ऐसे बहुत से मामले हैं जिसमें कई पत्नियां इसी वजह से पेंशन से वंचित रह जाती हैं। इसलिए अब इस मुद्दे पर कठोर कदम उठाना अनिवार्य हो गया है ।
असम सरकार के मुताबिक एक से अधिक शादी की प्रक्रिया पर कानूनी तरीकों के जरिए रोक लगाने पर काम किया जा रहा है, जिसपर यह पहल की गई है अगले विधानसभा सत्र में इसको पेश किया जाएगा, हिमंत बिस्वा सरमा द्वारा इस मामले में इसी साल मई में बात की गई थी और इस सिलसिले में कानूनी तौर पर काम करने के लिए एक्सपर्ट कमेटी भी बनाई गई थी । कमेटी ने अपनी एक रिपोर्ट सौंपी, जिसमें यह कहा गया कि ऐसे कानून लागू करने के लिए राज्य विधायिका के पास कानूनी विकल्प मौजूद हैं।
साथ ही कमेटी ने यह भी कहा कि धार्मिक क्रियाएं जरूरी हैं एवं उसको सुरक्षा भी मिलनी चाहिए ।
इस्लाम धर्म का सम्मान करते हुए कोर्ट ने यह कहा था कि एक से ज्यादा औरतों से शादी करना इस्लाम की जरूरी क्रियाओं में शामिल नहीं है। कानून के मुताबिक दो शादियों पर रोक लगाना, धर्म की जरूरी क्रियाएं करने में बाधा डालने जैसा बिल्कुल भी नहीं है, यह कदम सामाजिक सुधार से संबंधित है।
दूसरी शादी पर पर्सनल लॉ क्या कहते हैं?
हिंदू मैरिज एक्ट-1955 के मुताबिक अगर पति/पत्नी जीवित हैं या तलाक नहीं हुआ है… तो दूसरी शादी करना अपराध माना गया है,इसी कानून की धारा 17 के तहत, अगर कोई भी पति या पत्नी के रहते हुए दूसरी शादी कर लेता है, तो उसे सात साल की जेल से दंडित किया जा सकता है।
हिंदू मैरिज एक्ट हिंदुओं के अलावा सिख, जैन एवं बौद्ध धर्म के लोगों पर भी लागू होता है।
मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ है, जिसमें पुरुष को चार शादी करने की इजाजत दी गई है. यदि कोई व्यक्ति पांचवा निकाह करना चाहता है, तो चार बीवियों में किसी एक से तलाक लेना होगा या किसी एक की मौत हो चुकी हो।
ईसाई धर्म के मानने वालों पर क्रिश्चियन मैरिज एक्ट 1872 लागू होता है, जिसके तहत शादी होती है. ईसाइयों में हिंदू मैरिज एक्ट की तरह ही पार्टनर के जीवित होते हुए दूसरी शादी करने की इजाजत नहीं है इस धर्म को मानने वाले दूसरी शादी ऐसी स्थिति में ही कर सकते हैं, जब पति और पत्नी के बीच तलाक हुआ हो या दोनों में से किसी एक की मौत हो चुकी हो ।
पति-पत्नी एक दूसरे की सहमति से दूसरी शादी कर लें तो क्या होगा?
भारतीय संविधान में (पर्सनल लॉ को छोड़कर) ये नियम बनाया गया है कि अगर कोई पति/पत्नी अपने पार्टनर के रहते हुए किसी और से शादी करता है, तो IPC की धारा 494 के तहत यह अपराध माना जाएगा, भले ही एक-दूसरे से इस पर सहमति लेकर की गई हो।
ऐसे मामले में, कोर्ट अधिकतम सात साल की सजा सुना सकती है और जुर्माना भी लग सकता है. सजा की अवधि को अदालत के द्वारा कम भी किया जा सकता है।
जबकि यह कानून मुस्लिम समाज के लोगों पर नहीं लागू होता है, क्योंकि मुस्लिम पर्सनल लॉ एक से ज्यादा शादी करने की इजाजत देता है ।
वहीं दूसरी तरफ हिंदू मैरिज एक्ट के सेक्शन 5 में, पत्नी के रहते दूसरी शादी करना अपराध माना गया है, तो अगर कोई हिंदू पति/पत्नी सहमति से भी दूसरी शादी करते हैं, तो हिंदू मैरिज एक्ट के सेक्शन 5 की शर्तों का उल्लंघन माना जाएगा ।
पर्सनल लॉ क्या है?
मौजूदा वक्त में भारत के अंदर शादी-तलाक, गोद लेना, संपत्ति बंटवारा-विरासत, उत्तराधिकार, गार्डियनशिप को लेकर अलग-अलग धर्म, आस्था एवं विश्वास के आधार पर उस धर्म के मानने वालों के लिए अलग कानून बने हैं हिंदुओं के लिए अलग एक्ट, तथा मुसलमानों के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ बना हैं ।
अब यहां पर सवाल यह आता है कि भारत जैसे देश में जहां अलग-अलग धर्म के मानने वाले लोग रहते हैं, अलग-अलग आस्थाएं एवं मान्यताएं मौजूद हैं, ऐसे में अगर सरकार सबके लिए एक कानून लाती है, तो उसे लागू कैसे किया जाएगा और अलग अलग धर्म के लोग इसको कैसे अपनाएँगे तथा उनकी क्या प्रतिक्रिया रहेगी ?
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