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Legal rights of women related to police

Legal rights of women related to police
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Legal rights of women related to police/ पुलिस से संबंधित महिलाओं के क़ानूनी अधिकार

Police Rights Related to Women  / पुलिस से संबंधित महिलाओं के क़ानूनी अधिकार  इस पोस्ट के माध्यम से हम बताने का प्रयास करेंगे कि क्या हैंभारतीय नारी आज काफ़ी सशक्त, पढ़ी-लिखी एवं  समझदार है। वह प्रगति के हर क्षेत्र में अपनी पहचान छोड़ रही है लेकिन अधिक शिक्षित होते हुए भी बहुत कम महिलाएं ऐसी हैं  जो पुलिस से संबंधित अपने कानून जानती होंगी। जैसे – यदि  किसी महिला का पर्स या कोई अन्य सामान चोरी हो जाता है तो शायद ही उसे एफ.आई.आर. एवं पुलिस कार्यवाही आदि के बारे में पूरी जानकारी होगी । अगर होगी भी तो वह अपने अधिकारों का सही उपयोग कर पाएगी तथा  उसका शोषण किसी के द्वारा नहीं हो पाएगा।इसी बात को ध्यान में रखते हुए मैंने यह पोस्ट लिखने एवं आप सबसे साझा करने का पूरा प्रयास किया है ताकि अधिक से अधिक महिलाएँ जागरूक हो सकें । एवं अपने अधिकारों का सही उपयोग कर सकें ।जिससे उन्हें शोषित होने से बचाया जा सके ।

एफ.आई.आर. (प्रथम सूचना रिपोर्ट) सम्बन्धी अधिकार –
यदि कोई भी पीड़ित महिला थाने में जाकर किसी भी अत्याचार एवं  हिंसा की FIR प्राथमिक रिपोर्ट दर्ज कराना चाहती है तो वह अपने निम्न अधिकारों का प्रयोग कर सकती है :-रिपोर्ट दर्ज करवाने के समय अपने किसी मित्र या रिश्तेदार को अपने साथ ले जाएं।यह उसका अधिकार है जिसे पुलिस भी मना नही कर सकती है ।
अगर सम्भव हो तो एफ आई आर को स्वयं पढ़ें या किसी और से जिसपर भरोसा हो पढ़वाने के बाद ही उस पर हस्ताक्षर करें। बिना पढ़े FIR पर दस्तख़त करने के लिए पुलिस मजबूर नही कर सकती है ।
आपको एफ आई आर की एक प्रति मुफ्त में दी जाएगी यह   भी आपका  अधिकार  है ।
FIR  दर्ज न किए जाने पर आप वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अथवा स्थानीय मजिस्ट्रेट से मदद मांग  सकते हैं यह भी आपका अधिकार है ।

रफ्तारी के समय अगर कोई महिला पुलिस की नजरों में गुनाहगार है और पुलिस उसे गिरफ्तार करने के लिए आती है तो वह अपने इन अधिकारों का प्रयोग  कर सकती हैं ,
तो आइए जानते है क्या हैं पुलिस से संबंधित महिलाओं के क़ानूनी अधिकार / Police Rights Related to Women :-

  • आपको आपकी गिरफ्तारी का कारण बताया जाना चाहिए ।
  • गिरफ्तारी के समय आपको हथकड़ी न लगाई जाए,  इसकी माँग आप कर सकती हैं।
  • हथकडी  सिर्फ मजिस्ट्रेट के आदेश पर ही लगाई जा सकती है।
  • आप अपने वकील को भी थाने में बुलवा सकती है।
  • मुफ्त कानूनी सलाह की मांग भी अपने लिए कर सकती है। यदि आप वकील रखने में असमर्थ है।
  • गिरफ्तारी के 24 घंटे के अंदर ही  आपको मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करना अनिवार्य है। गिरफ्तारी के समय आपके किसी रिश्तेदार या मित्र को आपके साथ थाने में जाने की माँग कर सकती हैं ।

अगर पुलिस आपको गिरफ्तार करके थाने में लाती है तब पुलिस से संबंधित महिलाओं के क़ानूनी अधिकार / Police Rights Related to Women निम्न अधिकार प्राप्त हैं :

  • गिरफ्तारी के बाद आपको महिलाओं के कमरे में ही रखा जाना चाहिए ।
  • आपको मानवीयता के साथ वहाँ रखा जाए, किसी भी प्रकार की जोर-जबरदस्ती करना गैरकानूनी है।
  • आप पुलिस द्वारा मार-पीट किए  जाने या दर्ुव्यवहार किए जाने पर मजिस्ट्रेट से डाक्टरी जांच की मांग कर सकते हैं ।
  • आपकी डाक्टरी जांच केवल महिला डाक्टर ही कर सकती हैं ।
  • महिला अपराधियों के साथ पूछताछ के दौरान कभी-कभी छेड़छाड़ के मामले भी निकल कर सामने सामने आते हैं।

अगर आप चाहती हैं कि आपके साथ ऐसा न हो तो आप इन अधिकारों का प्रयोग कर सकती हैं , जोकि पुलिस से संबंधित महिलाओं के क़ानूनी अधिकार / Police Rights Related to Women –

  • पूछताछ हेतु आपको थाने में या कहीं अन्य जगह  बुलाए जाने पर आप वहाँ जाने से इंकार भी कर सकती है।
  • आपसे पूछताछ केवल आपके घर पर तथा आपके परिवार के सदस्यों की उपस्थिति में ही किया जाना चाहिए ।
  • आपके शरीर की तलाशी केवल दूसरी महिला कर्मचारी द्वारा ही शालीन तरीके से ली जानी चाहिए ।
  • अपनी तलाशी से पहले आप भी महिला पुलिसकर्मी की तलाशी ले सकती है।

जमानत के अधिकार :

  • ज्ञात हो कि जुर्म दो प्रकार के होते हैं, जमानती व गैर जमानती।
  • यह जानना भी आपका अधिकार है कि पुलिस आपको यह बताए कि आपका अपराध जमानती है या गैर जमानती।
  • जमानती जुर्म में आपकी जमानत पुलिस थाने में ही हो जाती है । यह आपका अधिकार है।
  • गैर जमानती जुर्म में जमानत मजिस्ट्रेट के आदेश पर ही दी जा  सकती है। इसके लिए आपको अदालत में जाना ही पड़ेगा।

क्या है  पुलिस से संबंधित महिलाओं के क़ानूनी अधिकार / Police Rights Related to Womenअधिकार :-एक तरफ़ जहां देश भर में नारी उत्थान की बात बड़े ही जोर-शोर से उठाई जा रही है तमाम संस्थाएँ एक तरफ़ महिलाओं के हक़ के लिए लड़ाइयाँ लड़ रही हैं देश में बड़े बड़े क़ानूनी बदलाव भी महिलाओं के उत्थान के लिए बनाए जा रहे  हैं बावजूद इसके देश की अधिकांश महिलाओं को सही मायनों में उनके मौलिक अधिकारों अथवा संवैधानिक अधिकारों की जानकारी तक नहीं है।
तो आइए जानते हैं कि भारतीय संविधान के अनुसार भारतीय महिलाओं को क्या-क्या हक एवं अधिकार प्रदान किए गए हैं।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14,15 एवं 16 में देश के प्रत्येक नागरिक को समानता का अधिकार दिया गया है। समानता का मतलब ‘समानता‘, इसमें किसी प्रकार का लिंग भेद शामिल नहीं किया गया  है। समानता , स्वतंत्रता एवं  न्याय का अधिकार महिला-पुरुष दोनों को समान रूप से प्रदान किया  गया है। शारीरिक एवं  मानसिक तौर पर नर-नारी में किसी प्रकार का भेदभाव असंवैधानिक माना गया है। हालांकि आवश्यकता महसूस होने पर महिलाओं एवं पुरुषों का वर्गीकरण किया जा सकता है।यह क़ानूनी रूप से मान्य है।

अनुच्छेद-15 में यह प्रावधान किया गया है कि स्वतंत्रता -समानता एवं  न्याय के साथ-साथ महिलाओं/लड़कियों की सुरक्षा एवं  संरक्षण का काम भी सरकार का ही कर्तव्य है। जैसे बिहार में लड़कियों के लिए साइकिल एवं  पोषक की योजना, मध्यप्रदेश में लड़कियों के लिए ‘ लाड़ली लक्ष्मी’ योजना , दिल्ली में मेट्रो में महिलाओं के लिए रिजर्व कोच की व्यवस्था आदि बनायी गयी है ।

स्वतंत्रता और समानता का अधिकार :-
अनुच्छेद-19 में महिलाओं को यह अधिकार प्रदान किया  गया है कि वह देश के किसी भी हिस्से में नागरिक की हैसियत से स्वतंत्रता रूप से आ-जा सकती है, एवं रह सकती है। साथ ही साथ अपने व्यवसाय का चुनाव भी स्वतंत्र रूप से कर सकती है। महिला होने के कारण किसी भी कार्य के लिए उनको मना करना उनके मौलिक अधिकार का हनन होगा एवं  ऐसा होने पर वे अपने हक़ के लिए कानून की मदद ले सकती है।

नारी की गरिमा का अधिकार :-
अनुच्छेद-23 नारी की गरिमा की रक्षा करते हुए उनको शोषण मुक्त जीवन जीने का अधिकार प्रदान करता  है। महिलाओं की खरीद-बिक्री ,वेश्यावृत्ति के धंधे में जबरदस्ती लाना, भीख मांगने पर मजबूर करना आदि दण्डनीय अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसा कराने वालों के लिए भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत सजा का प्रावधान भी है। संसद ने अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम,1956 भी पारित किया है। भारतीय दंड संहिता की धारा-361, 363, 366, 367, 370, 372, 373 के अनुसार ऐसे अपराधी को सात साल से लेकर 10 साल तक की कैद एवं  जुर्माने की सजा भी भुगतनी पड़ सकती है। अनुच्छेद-24 के अनुसार 14 साल से कम उम्र के लड़के या लड़कियों से काम करवाना बाल-अपराध की श्रेणी में आता है।जिसके लिए कठोर दंड का प्रावधान है।

घरेलू हिंसा का कानून :- घरेलु हिंसा अधिनियम, 2005 जिसके तहत वे सभी महिलाएं जिनके साथ किसी भी प्रकार  की घरेलु हिंसा की जाती है, उनको प्रताड़ित किया जाता है, वे सभी पुलिस थाने जाकर एफआईआर दर्ज करा सकती है, एवं  पुलिसकर्मी बिना किसी बिलंब के उसपर प्रतिक्रिया करेंगे।

दहेज निवारक कानून :-
दहेज से सम्बंधित क़ानून एवं उसका उपयोग आज के समाज में काफ़ी अधिक देखने को मिल रहा  है जबकि आपको बता दें  दहेज लेना ही नहीं देना भी अपराध हैं। अगर वधु पक्ष के लोग दहेज लेनी के आरोप में वर पक्ष को कानून सजा दिलवा सकते हैं तो वर पक्ष भी इस कानून के ही तहत वधु पक्ष को दहेज देने के जुर्म मे सजा करवा सकता हैं। 1961 से लागू इस कानून के तहत बधू को दहेज के नाम पर प्रताड़ित करना भी संगीन जुर्म की श्रेणी में आता है।

नौकरी एवं  स्व-व्यवसाय का समान अधिकार:-
संविधान के अनुच्छेद 16 में स्पष्ट शब्दों में दर्शाया गया है कि हर वयस्क लड़की व हर महिला को कामकाज के बदले वेतन प्राप्त करने का अधिकार पुरुषों के समान ही है  है। केवल महिला होने के नाते रोजगार से वंचित करना, किसी नौकरी के लिए अयोग्य घोषित करना या पुरुषों की तुलना में कम बेतन देना लैंगिग भेदभाव माना जाएगा।जिसके लिए कठोर दंड का प्रावधान है ।

प्राण एवं  दैहिक स्वतंत्रता का अधिकार: –
अनुच्छेद-21 व 22 दैहिक स्वाधीनता का समान अधिकार प्रदान करता है। हर व्यक्ति को इज्जत के साथ जीने का मौलिक अधिकार संविधान द्वारा प्रदान किया गया है। अपनी देह एवं  प्राण की सुरक्षा करना प्रत्येक व्यक्ति का मौलिक अधिकार है।

राजनीतिक अधिकार –
प्रत्येक महिला एवं  वयस्क लड़की को चुनाव की प्रक्रिया में स्वतंत्र रूप से भागीदारी करने एवं  स्व विवेक के आधार पर वोट देने का अधिकार प्रदान किया गया  है। कोई भी व्यक्ति संविधान सम्मत योगता रखने पर किसी भी तरह के चुनाव में उम्मीदवारी कर सकता  है।

आशा करते हैं हमारा लेख आपको पसंद आया होगा इस तरह के किसी अन्य मुद्दे पर जानकारी के लिए आप हमें ईमेल या कमेंट करके पूँछ सकते है ।
 धन्यवाद 
द्वारा – रेनू शुक्ला,  अधिवक्ता / समाजसेविका 

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