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किरायेदार के अबैध क़ब्ज़े से अपनी प्रॉपर्टी को कैसे बचाएँ

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किरायेदार के अबैध क़ब्ज़े से अपनी प्रॉपर्टी को कैसे बचाएँ

How to save your property from illegal POSSESSION of tenant

आज के दौर में किसी व्यक्ति को मकान या दुकान किराए पर देना बाद में किरायेदार द्वारा उसका क़ब्ज़ा हो जाना आम बात है जिसके चलते मकान मालिकों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है कई बार उन्हें अपनी सम्पत्ति से भी हाथ धोना पड़ जाता है ऐसे में मकान मालिकों को कुछ बातों को ध्यान में रखते हुए ही सम्पत्ति को किराए पर देना चाहिए यदि किसी कारणवश आपको अपने किरायेदार की तरफ़ से किसी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है तो आपको बहुत हाई समझदारी से इसका सामना करना होगा क्योंकि वर्तमान में किराए पर सम्पत्ति देने को लेकर कोई कठोर क़ानून मौजूद नहीं है, इसलिए कोशिस करें की आपसी बात चीत से ही  समस्या का समाधान निकाल लें।

  • महत्वपूर्ण सावधानियाँ –
    यदि आपकी सम्पत्ति को
    किरायेदार के रूप में कोई कम्पनी एवं कोई व्यक्ति दोनो लेने के इच्छुक है तो आप कम्पनी को हाई चुने कम्पनी द्वारा क़ानून के नियमों का पालन करना व्यक्ति की तुलना में ज़्यादा आसान होता है कम्पनी अपनी लॉ एक्ट के अंतर्गत काम करने को बाध्य होती है तथा उसपर उल्लंघन करने पर कोर्ट द्वारा भारी जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
  • किराए पर दी हुयी सम्पत्ति का फ़ोटो के साथ अग्रीमेंट करवाएँ एवं उसमें सभी नियम व शर्तों को साफ़ तौर पर दर्शाएँ ।जिसका फ़ायदा आपको यह होगा की यदि सम्पत्ति में कोई तोड़ फोड़ या नुक़सान हुआ है तो आप आसानी से कोर्ट में दिखाकर हर्जाने की माँग कर सकते है।
  • साथ ही की गयी छति या नुक़सान को दिखाकर आप किराएदार से अपना घर आसानी से ख़ाली करवा सकते है।
  • किसी व्यक्ति के साथ अग्रीमेंट का समय 11 महीने से अधिक ना रखें पर कम्पनी के साथ आप इस से अधिक का भी अग्रीमेंट कर सकते है इसकी वजह यह है की कोई भी पक्का अग्रीमेंट पक्का बनाने के लिए उसकी अवधि कमसे काम 12 महीने होने अनिवार्य है।साथ ही लोकल रजिस्ट्रार से रजिसटेरद भी होना चाहिए इसी को ध्यान में रखते हुए लोग 11 महीने का ही अग्रीमेंट करना ही सही समझते है।ताकि मकान मालिक का क़ानूनी पक्ष मज़बूत रहे।
  • यदि किसी कारणवश किरायेदार के मन में कोई बुरी भावना उत्पन्न हो जाती है तो ऐसी स्थिति में वह सबसे पहले यह दलील पेश करता है की उसे इस सम्पत्ति से काफ़ी लगाव है क्यूँकि वह इसमें लम्बे समय से रह रह है और इसके मेंट्नेन्स में काफ़ी धन खर्च किया है।इनहि सब दलीलों से बचने के लिए मकान मालिक को कम अवधि रखना लाभकारी होता है ताकि यह कहाँ जा सके की मकान मालिक ने सम्पत्ति को कम समय के लिए ही दिया था।  और न ही इससे सरकार को कोई लाभ टैक्स के रूप में मिल रहा है।
  • कोशिस करें की 11 महीने पूरा होने पर अग्रीमेंट परिवार के किसी अन्य व्यक्ति के नाम करें एक हाई व्यक्ति के नाम 11 mahiने से अधिक का अग्रीमेंट ना करें।जिससे यह आसानी से साबित किया जा सकेगा की हर बार किसी नए व्यक्ति के नाम से अग्रीमेंट किया गया है। जिससे आर्थिक हानि एवं किसी तरह के लगाव का दावा ना किया जा सके।साथ ही मकान मालिक यह भी साबित कर सकता है की उसने किरायेदार को लगातार नही रखा है जिससे उसका आर्थिक लाभ एवं निजी हित की हानि होने की कहीं से भी कोई सम्भावना नही बनती है।इस प्रकार से साबित करने पर किरायेदार को किसी भी तरह से कोई भी हित भंग होने की सम्भावना ख़त्म हो जाती है।इन सभी उपायों की आवश्यकता किसी व्यक्ति विशेष को ही किरायेदार बनाने पर ज़रूरत पड़ती है किसी कम्पनी को किरायेदार बनाने पर इन बातों का कोई मतलब नही रह जाता है।कम्पनी से आसानी से घर ख़ाली करवाया जा सकता है।
  • अगर हो सके तो आप अपनी सम्पत्ति बिना किराएनामें (अग्रीमेंट) के हाई दें ये बात पूरी तरह से मकान मालिक के हक़ में होती है,इसका फ़ायदा यह है कि किसी भी प्रकार का विवाद उत्पन्न होने पर बिना अग्रीमेंट के किरायेदार को कोर्ट में जाने में परेशानी होगी क्योंकि अगर किरायेदार समय पर किराया नहीं देता है या बिल्कुल नहीं देता है तो उसे क़ानूनन मकान या सम्पत्ति ख़ाली करना होता है जिसका फ़ायदा उठकर मकान मालिक कह सकता है की किराया ना देने की स्थिति में मुझे अपना मकान या दुकान ख़ाली करवाना है और कोई सबूत ना होने की स्थिति में वह किराया अधिक भी बता सकता है लेकिन इसका एक बड़ा नुक़सान यह भी है कि किरायेदार इसका नाजायज़ फ़ायदा उठा कर ग़लत तरीक़े से अपनी आइडी उसी पाते का बनवाकर मकान या दुकान को क़ब्ज़ा भी कर सकता है ऐसी स्थिति में एक दो साल से अधिक किराए पर रखना सही नही रहता है।
  • आजकल हमारे समाज में औरतों को लेकर कुछ ग़लत धारणाएँ भी पैदा हो रही है जिसकी वजह कुछ ग़लत महिलाएँ ही है जिन्होंने किराए पर मकान या दुकान लेकर औरत होने का फ़ायदा उठाकर मकान मालिकों पर झूठा धारा 354 IPC का मुक़दमा करके मकान या दुकान हड़पने की कोशिस की है ऐसी स्थिति में मकान मालिक मजबूरन अच्छे पैसे देकर अपना मकान या दुकान ख़ाली करवाता है, दूसरा नुक़सान यह है होगा कि हर महीने आपको महिला से ही पैसों की डील करनी होगी जिसमें भी उसके द्वारा ग़लत इल्ज़ाम लगने के अधिक चान्स हैं साथ हाई अकेली रहने वाली महिला को किसी भी तरह की सम्पत्ति किराए पर देने से बचें। इस पोस्ट में लिखी गयी बातों को महिला के विरोध में ना लेकर कुछ समाजिक मुद्दों के तौर पर देखें।हमारा मक़सद किसी महिला का विरोध करना नही है बल्कि कुछ सत्य घटनाओं के आधार पर अपनी राय रखना है।
  • कभी भी किरायेदार की बिजली पानी के कनेक्शन को ना काटें -अधिकतर लोग किरायेदार से हुए विवाद पर उसका बिजली पानी का कनेक्शन काटने की गलती कर देते है जोकि ग़लत है क्यूँकि विवाद उत्पन्न होने की हालत में यदि किरायेदार कोर्ट चला जाएगा तो उसको कोर्ट से बिजली पानी का कनेक्शन दोबारा करने का आदेश मिल जाएगा जोकि अब किरायेदार के नाम से होगा ऐसा इसलिए कि जीवन जीने की सबसे आवश्यक चीजें है बिजली पानी जीवन जीने का मुख्य आधार है यह हक़ फ़ंडामेंटल राइट्स में में आता है जिसे कोई नही छीन  सकता है  इसलिए यदि किरायेदार बिल न जमा करें तो सीधे कोर्ट में जाएँ अपना पक्ष रखें आपकी बात पूरी तरह सुनी जाएगी और इससे आपका पक्ष भी मज़बूत होगा।
  • मकान ख़ाली करवाने के लिए कभी भी झगडे या बल का प्रयोग ना करें संयम एवं सूझबूझ के साथ हो  सके तो मामले को बात चित से हाल करने का प्रयास करें।कई बार झगड़ा करने की चक्कर में किसी बच्चे या महिला के साथ अभद्रता का झूठा आरोप भी  लगाया जाता है जिसमें मामला और भी उलझ जाता है तथा सालों लग जाते है इसको सुलझाने में।
  • झगड़ालू प्रवित्ति का पता चलते हाई किरायेदार को किराए की रसीद बिल्कुल ना दें जिससे यदि मामला कोर्ट में जाए तो आप साबित कर सकें की किराया न देने की अवस्था में यह विवाद उत्पन्न हुआ है। किरायेदार को कोशिस करें नगद में किराया देने के लिए राज़ी कर लें।नगद किराया लेने की अवस्था में आपका पक्ष साबित करने में और मज़बूत होगा।
  • हो सके तो अपने यहाँ  किराए पर रखने से पहले आप अपने किराएदार के बारे में पहले रहे मकान मालिक से पूँछताक्ष कर लें इस से व्यक्ति का स्वभाव आपको पहले से पता चल जाएगा एवं सभी संदेह दूर हो जाएँगे।
  • किसी भी किरायेदार का पुलिस सत्यापन बहुत अनिवार्य होता है ऐसा ना करने पर IPC की धारा के अंतर्गत सजा एवं जुर्माना दोनो का प्रावधान है। यह सत्यापन पूरी तरह फ़्री होता है जिसमें कुछ ज़रूरी जानकारी के साथ नज़दीकी पुलिस को देना होता है।अब यह प्रक्रिया कुछ स्थानों पर ऑन लाइन भी की जा रही है।
  • किरायेदार से मकान ख़ाली करवाने की स्थिति में लिखित में नोटिस ज़रूर दें ताकि यह साबित किया जा सके की किस वजह से सम्पत्ति ख़ाली करवायी जा रही है।
  • कभी भी किरायेदार को अपनी या पारिवारिक कमजोरी ना बताएँ जिस से वह आपको कमजोर समझकर आपके साथ ज़बरदस्ती करने या नाजायज़ फ़ायदा उठाने की कोशिस कर सके।
  • सम्पत्ति पर किरायेदार का क़ब्ज़ा होने पर अधिक बल पूर्वक ख़ाली करवाने का प्रयास ना करें आपसी सहयोगी मित्र रिस्तेदार एवं पुलिस की मदद लेकर समझा बूझकर यदि मामला निपट जाए तो सही है अन्यथा कोर्ट की आख़िरी रास्ता है।
  • साथ ही यदि आपका किराएदार कोई ग़ैर क़ानूनी कम करता है या लड़कियों की आवाजाही संदिग्ध अवस्था में रहती है या आपके एवं आपके परिवार के किसी सदस्य के साथ अभद्रता की है तो इस अवस्था में आप बिना किसी अन्य वजह के सीधा पुलिस की मदद से अपना मकान या दुकान ख़ाली करवा सकते है आपकी शिकायत पर पुलिस तुरंत कार्यवाही करने ले लिए बाध्य होगी।
  • कोर्ट केस चलने तक किराया लेने का हक़ कोर्ट अपने हाथ में रखता है विवाद ख़त्म होने पर वह सम्पत्ति के मालिक को दे दिया जाता है। इस स्थिति में जबतक केस निपट नही जाता मकान मालिक की सम्पत्ति एवं किराया दोनो अटके रह जाते है।
  • आशा है ऊपर लिखी बातें आ[पके लिए काफ़ी उपयोगी साबित होंगी –
  • किसी अन्य मुद्दे पर जानकारी के लिए आप हमें ईमेल या कॉमेंट में लिख सकते है धन्यवाद।
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