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How to protect yourself in Section 376 IPC

How to protect yourself in false rape case Section 376 IPC
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झूठे रेप केस धारा 376 IPC में अपना बचाव कैसे करे How to protect yourself in false rape case Section 376 IPC

समाज में बदलते परिवेश एवं वेस्टर्न कल्चर के बढ़ते दौर में आजकी युवा पीढ़ी इतना डूब चुकी है जिससे बाहर निकलना शायद अब इतना आसान नहीं होगा ज़िंदगी में बढ़ते भाग दौड़ में लोगों के पास समय कम होता है जिससे वह  अपनो के बीच में रहकर कुछ समय व्यतीत करें जिसके चलते वह अकेलेपन का शिकार होने लगते है जिसके बाद उनका अपने साथी कार्यकर्ता से मित्रता एवं सम्बंध बनने के चांस अधिक हो जाते है कुछ हद  तक यह ठीक भी है दोनो की सहमति एवं ख़ुशी से यदि यह सम्भव हो तो ज़रूर होना चाहिए, पर सब केस में ऐसा नहीं होता है कहीं पर पुरुष महिला के साथ तो कही पर महिला पुरुष के साथ ज़ोर ज़बरदस्ती या इल्ज़ाम लगाने पर मजबूर होती नज़र आती है समाज  में बढ़ रहे इसी मुद्दे पर आपको आपके बचाव के सम्बंध में इस पोस्ट के माध्यम से कुछ जानकारी साझा करने के प्रयास किया है।
धारा 376 IPC रेप केस में झूठा आरोप लगने पर पुरुष खुद का बचाव कैसे करें,एवं पीड़ित महिला को न्याय कैसे मिल सकता है ।

बलात्कार मतलब रेप क़ानून की नज़र में एक जघन्य अपराध माना गया है,जिसका शिकार आजकल महिलाएँ एवं छोटी बच्चियों भी हो रही है,पर कुछ मामलों में महिलाओं द्वारा पुरुषों को फ़साया जाता है इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएँगे की धारा 376 IPC में दोनो पक्षों को उचित न्याय कैसे मिल सकता है।

धारा 376 IPC (रेप) की परिभाषा – यदि कोई पुरुष अपना शिशिन या अपने शरीर का कोई अंग किसी महिला की योनि, मूत्रवाहिनी गुदा  एवं मुख में डालता है या फिर महिला को डरा धमका कर नशे की हालात में या प्रलोभन देकर ज़बरदस्ती या धोखे  से या किसी अन्य से ऐसा करवाता है तो वह धारा 376 IPC में रेप की श्रेणी में आता है इसके साथ साथ 18 वर्ष से कम उमर की लड़की और 15 वर्ष से कम उमर की पत्नी से उसकी सहमति से सहवास करना भी धारा 375 IPC rरेप की श्रेणी में आता है।यदि लड़की दिमाकी रूप से कमजोर या पागल हो या फिर नशीले पदार्थ के सेवन के कारण बेहोशी की हालत में उससे सहमति ली गयी हो या उसकी उमर 18 वर्ष से कम हो इस सभी हालातों में बनाया गया शारीरिक समबंध रेप की श्रेणी में आता है।

इसके साथ ही दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा दिए गये जजमेंट के अनुसार अगर पुरुष का शिशिन महिला की योनि सिर्फ़ छू भी जाता है तब भी वह रेप की श्रेणी में आता है इसकी परिभाषा किसी धारा में नही लिखी गयी है। यह दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा दिए गये कुछ जजमेंट के आधार पर माना जा सकता है।

धारा 375 IPC (बलात्संग) की परिभाषा –

  • यदि कोई व्यक्ति अपना शिशिन किसी भी सीमा महिला को योनि, मुँह, मूत्रवाहिका या गुदा में प्रेवेश करता है या किसी अन्य व्यक्ति से ऐसा करवाता है।
  • कोई वस्तु या शरीर का कोई भी भाग जो शिशिन न हो किसी सीमा तक किसी महिला के योनि, मूत्रवाहिका या गुदा में डालता है या उससे या किसी अन्य किसी अन्य व्यक्ति भी ऐसा करवाता है।
  • या अपना मुँह किसी महिला की योनि, गुदा,मूत्रवाहिका में डालता है या उससे या अन्य व्यक्ति से ऐसा करवाता है।
  • किसी महिला के शरीर के किसी भाग को छल पूर्वक बहला कर या झाँसा देकर उसे बहलता है ताकि योनि, मूत्रवाहिका, गुदा या ऐसी महिला के शरीर के किसी भाग में प्रवेश कार्य जा सके उआ उससे या किसी अन्य व्यक्ति के ऐसा करवाता है।
  • जो किसी महिला की सहमति एवं उसकी इच्छा के विरुद्ध हो।
  • उसकी सहमति हो पर ऐसी सहमति उसे किसी व्यक्ति जो उसका करीबी हो उसके हितबद्ध या मृत्यु का भय या अहित करने का भय करके लिया गया हो।
  • उसकी सहमति हो पर यह मानकर की वह वर्तमान में उसका पति नही है फिर भी भविष्य में अपना जीवन साथी होने का विश्वास करती है।
  • उसकी सहमति ऐसी अवस्था में हुयी हो जब उसका मस्तिष्क अस्वस्थ रहा हो या नशे की हालात में रहा है, जिसे छल पूर्वक उसके द्वारा या किसी अन्य व्यक्ति जो उससे करीबी समबंध रखता हो के माध्यम से करवाया गया हो।जिससे वह परिणामों को समझने की अवस्था में न रही हो।
  • उसकी सहमति या बिना सहमति जब उसकी उमर 18 वर्ष से कम हो।
  • किसी कारण बाश वह सहमति देने असमर्थ हो।
  • परंतु यदि कोई महिला किसी कारण वश इसका शारीरिक रूप से विरोध नहीं कर पाती है तो इसका अर्थ यह कदापि नहीं है कि वह इसकी सहमति देती है।
  • यदि कोई पुरुष अपनी पत्नी के साथ जिसकी 15 वर्ष से कम न हो मैथुन या लिंगीय कृत्य बलात्संग नहीं माना जाएगा।

धारा 376 A–E तक दंड की व्याख्या –
यदि कोई व्यक्ति उपधारा (2 ) में दर्शाए गये मामलों के सिवा बलात्संग करता है तो उसे दोनो में से किसी भाँति के कठोर कारावास से दंडित किया जाएगा जिसकी अवधि दास वर्षों से कम की नही होगी या इसे बढ़ाकर आजीवन कारावास में भी बदला जा सकता है, तथा जुर्माना भी देय होगा।

यदि कोई पुलिस अधिकारी होते हुए बलात्संग कारित करता है –

  • उस सीमा के अंतर्गत जाह उसकी नियुक्ति है या किसी स्टेशन हाउस के परिसर में या ऐसे पुलिस अधिकारी की अभिरक्षा या ऐसे पुलिस अधिकारी की अधीनस्थ किसी पुलिस अधिकारी की अभिरक्षा वाले किसी व्यक्ति पर या एक लोकसेवक होते हुए किसी महिला के साथ बलात्संग कारित करता  है।
  • केंद्र या राज्य सरकार की तैनाती के बावजूद उस क्षेत्र की सशत्र बलों का सदस्य होते हुए भी यदि बलात्संग कारित करना है।
  • किसी अन्य स्थान महिला एवं बालकों के संस्थान के कर्मचारी या प्रबंधन में होते हुए संस्थान के अंतःवासियों पर बलात्संग कारित करता है।
  • किसी अस्पताल के कर्मचारी   या प्रबंधन का सदस्य होते हुए किसी महिला अस्पताल के कर्मी के साथ बलात्संग कारित करता है।
  • महिला के रिस्तेदार अभिभावक या शिक्षक या किसी ऐसे व्यक्ति पर जिसे भरोसा करके प्राधिकार सौंपा गया हो उसके साथ बलात्संग कारित करना।
  • सामुदायिक रोप से हुयी हिंसा के दौरान बलात्संग कारित करना।
  • किसी महिला के साथ यह जानते हुए भी की वह गर्भवती है बलात्संग कारित करना।
  • जो कोई भी व्यक्ति 16 वर्ष से कम आयु की लड़की के साथ बलात्संग करता है उसे कमसे कम 20 वर्ष के कठोर कारावास की सजा या आजीवन कारावास हो सकता है। एवं जुर्माना भी देना अनिवार्य होगा।
  • ऐसा जुर्माना जो पीड़ित के चिकित्सकीय खर्चो को पूरा करने एवं पुनर्वास के लिए उचित हो।
  • इस धारा के अंतर्गत मिलने वाले जुर्माने का भुगतान पीड़िता को किया जाएगा।
    धारा 376 B अलगाव के दौरान पति द्वारा पत्नी के साथ बलात्संग- 

यदि कोई व्यक्ति अनी स्वयं की पत्नी जो पृथककरण की डिक्री के अधीन या स्वेक्षा से अलग रह रही हो उसकी सहमति के बिना समबंध बनाना बलात्संग की श्रेणी में आएगा जिसके एवज़ में व्यक्ति को किसी भी तरह के कारावास जिसकी अवधि कमसे कम 2 वर्ष एवं अधिकतर 7 वर्ष हो दंडित किया जाएगा एवं जुर्माना भी देय होगा।इस धारा में मैथुन का अर्थ  धारा 375 में वर्णित खंडों के कृत्यों आधार पर किया जाएगा।

धारा 376 C प्राधिकार प्राप्त व्यक्ति द्वारा मैथुन –

जब कोई व्यक्ति प्राधिकारपूर्ण स्थिति में वैश्वासिक समबंध में होते हुए एक लोक सेवक, या महिलाओं एवं बालकों के संस्थान के अधीक्षक या प्रबंधन अस्पताल के प्रबंधन या कर्चारी होते हुए अपनी अभिरक्षा या प्रभाराधीन परिसर में मौजूद किसी महिला को उप्प्रेरित या बिलुब्ध करता है या ऐसी स्थिति या वैश्विक समबंध का दुरपयोग करता है तथा उस व्यक्ति के साथ मैथुन करता है। ऐसा मैथुन जो बलात्संग के अपराध के तुल्य नहीं है दोनो में से किसी भाँति के कठोर कारावास से जो पाँच वर्षों से कम नहीं होगा पर जो दस वर्षों तक का होगा तथा जुर्माना भी देय होगा।

धारा 376 D सामूहिक बलात्संग – जहां एक सामान्य आशय से गठित समूह  जिस में एक से अधिक लोग शामिल हों द्वारा किसी महिला के साथ बलात्संग किया जाता है उस व्यक्ति के समूह का प्रत्येक व्यक्ति बलात्संग कारित का दोषी माना जयेगा जिसकी अवधि कठोर कारावास के अंतर्गत कमसे कम बीस वर्ष या आजीवन कारावास से दंडित किया जयेगा जिसके साथ साथ जुर्माना राशि में देय होगी। जुर्माना राशि चिकित्सीय ख़र्चों को पूरा करने एवं पुनर्वास के लिए न्यायोचित होने के आधार पर निश्चित  किया जायेगा।


धारा 376 D A सोलह साल से कम आयु की महिला से सामूहिक बलात्संग के लिए दंड –
जहां एक सामान्य आशय से गठित समूह  जिस में एक से अधिक लोग शामिल हों द्वारा किसी ऐसी महिला के साथ बलात्संग किया जाता है जिसकी आयु सोलह वर्ष से कम हो ऐसी महिला के साथ बलात्संग किया जाता है  उस व्यक्ति के समूह का प्रत्येक व्यक्ति बलात्संग कारित का दोषी माना जयेगा जिसकी अवधि कठोर कारावास के अंतर्गत आजीवन कारावास जिसका अर्थ है व्यक्ति के जीवन का शेष भाग कारावास के रूप में दंडित किया जाएगा जिसके साथ साथ जुर्माना राशि में देय होगी। होगी। जुर्माना राशि चिकित्सीय ख़र्चों को पूरा करने एवं पुनर्वास के लिए न्यायोचित होने के आधार पर निश्चित  किया जायेगा।

धारा 376 D B बारह साल से कम आयु की महिला से सामूहिक बलात्संग के लिए दंड –
जहां एक सामान्य आशय से गठित समूह  जिस में एक से अधिक लोग शामिल हों द्वारा किसी ऐसी महिला के साथ बलात्संग किया जाता है जिसकी आयु बारह  वर्ष से कम हो ऐसी महिला के साथ बलात्संग किया जाता है  उस व्यक्ति के समूह का प्रत्येक व्यक्ति बलात्संग कारित का दोषी माना जायेगा जिसकी अवधि कठोर कारावास के अंतर्गत आजीवन कारावास जिसका अर्थ है व्यक्ति के जीवन का शेष भाग कारावास के रूप में दंडित किया जाएगा जिसके साथ साथ जुर्माना राशि में देय होगी। या मृत्यु दंड दिया जाएगा, जुर्माना राशि चिकित्सीय ख़र्चों को पूरा करने एवं पुनर्वास के लिए न्यायोचित होने के आधार पर निश्चित  किया जायेगा।
धारा 376 E कई बार दोहराए गये अपराध के लिए दंड – जो कोई भी पहले धारा 376 या धारा 376 A , 376 D , के अधीन दंडनीय अपराध के अधीन दोषसिद्ध पाया गया है उसके बाद उक्त धाराओं में से किसी  के अधीन दंडनीय अपराध के लिए दोषसिद्ध किया जाता है वह आजीवन  कारावास के लिए दंडित किया जायेगा जिसका अर्थ है उसके  जीवन का शेष भाग तक का कारावास होगा या मृत्युदंड दिया जायेगा,।

  • धारा 376 IPC रेप के बाद पीड़िता के साथ क्या क़ानूनी प्रक्रिया होती है –
    सबसे पहले जब आप लुलिस में शिकायत देते है घटना का समय तारीख़ स्थन सबका विवरण लिया जाता है जिसकी कापी पीड़ित को अस्वश्य लेनी चाहिए इसका कोई चार्ज नही है यह आपको फ़्री में दिया जायेगा यदि ऐसे मामलों में पुलिस संज्ञान लेने से मना करे प्रथम सूचना रिपोर्ट ना लिखे तो वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से इसकी शिकायत कर सकते है आपकी सुनवायी होने के साथ साथ उस पुलिस अफ़सर पर भी कार्यवाही होगी जिसने संज्ञान लेने से इनकार किया था।
  • यदि लड़की हालात गम्भीर है तो पुलिस का कर्तव्य है कि वह पीड़ित महिला की सबसे पहले डाक्टरि जाँच करवाए तथा उसका बयान दर्ज कर IPC की 376 रेप की FIR लिखकर घटना के अनुसार उसपर A से E तक जो धारा बनती हो उसको उपयोग में शीघ्र लाकर कार्यवाही करें।
  • मेडिकल से पहले पीड़ित नहाए नहीं क्योंकि इस से सबूत मिट जाता है।
  • बलात्कार के समय पीड़िता ने जो कपड़े पहने थे डाक्टरी जाँच के बाद पुलिस उन्हें सील बंद करके अपने क़ब्ज़े में लेगी जिसकी रसीद अप अवस्य लें पीड़ित के लिए नए कपड़ों का इंतज़ाम पुलिस या आप खुद भी कर सकते है ।
  • धारा 376 IPC में डाक्टर यदि पीड़िता को अनचाहे गर्भ को हटाने की दवाई दे तो उसे लिया  जा सकता है यह क़ानूनी रोप से सही है।
  • रेप हुआ है या नही इसकी पुष्टि के लिए डाक्टर टू फ़िंगर टेस्ट करते है यह एक बेहद विवादास्पद परीक्षण होने के साथ साथ क़ानूनी रोप से ज़रूरी भी है जिसके तहत महिला की योनि में उँगलियाँ डालकर अंदरूनी चोटों की जाँच की जाती है की दुष्कर्म की शिकार महिला कही सम्भोग की आदी तो नहीं है।
  • बलात्कार मामले की सुनवायी बैंड कमरे में की जाती है किसी अन्य व्यक्ति का वहाँ पर होना वर्जित है।
  • पीड़िता के पोलिस स्टेशन पहुँचने के बाद NGO का भी सहारा लिया जाता है एक महिला उसके साथ रहती है जो उसकी मदद करती है।

धारा 376 IPC पीड़िता किन आधार पर केस जीत सकती है –
यदि पीड़ित के साथ सामूहिक रूप से बलात्कार हुआ है तो सबूत धधने में अधिक दिक़्क़त नहीं होती है लेकिन कई बार किसी महिला को बहला फुसलाकर किसी एकांत जगह में छल पूर्वक ले जाकर रेप किया जाता है उस स्थिति में महिला को कुछ बातों का धायना रखना अवस्यक हो जाता है, वैसे तो महिला का यह कह देना की उसके साथ जबरन शारीरिक समबंध बनाया गया है यही काफ़ी होता है पर यदि इसके साथ साथ कुछ अन्य सबूत भी पेश किए जाए तो केस और भी मज़बूत हो जाता है और इन्साफ़ मिलने में आसानी होती है।

  • यदि सम्भव हो तो समबंध बनाने का सबूत फ़ोटो ऑडीओ विडीओ होटल बुकिंग जगह एवं कपड़े आदि को पुलिस को सबूत के तौर पर सौंपें।
  • शारीरिक समबंध मर्ज़ी से नही बनाया गया है उसपर किस तरह से क्या कहकर दबाव बनाया गया यह सब साफ़ साफ़ पुलिस को बताएँ।
  • शारीरिक समबंध बनाने के बाद सीधा मेडिकल करवाएँ इसमें किसी भी प्रकार की देरी ना करें कई बार लड़कियाँ सोचने में अधिक समय लगा देती है जिस से शरीर से रेप सम्बंधित सबूत मिट जाते है मेडिकल उन्ही कपड़ों में करवाएँ कपड़े बदलें नहीं।
  • FIR यदि किसी अज्ञात द्वारा किया गया है तो उसकी हुलिया स्थन समय एवं अन्य विवरण सही से दें ताकि उसे धधने में आसानी हो।

धारा 376 IPC रेप के आरोप में पुलिस की भूमिका – इस तरह के अपराध में पुलिस एफ आइ आर करने से मना नहीं कर सकती है इसके समबंध में सुप्रीम  कोर्ट के कई सारे जजमेंट है जिसके अनुसार सही हो या ग़लत यह बाद में जाँच करके पता लगाया जा सकता है पर पुलिस एफआइआर करने से माना नही कर सकती है इन्वेस्टिगेशन में पुलिस को हक़ है अपनी जाँच रिपोर्ट बनाकर उसमें जाँच द्वारा बनाया ज्ञ पक्ष को पेश करना।पर इसके बावजूद भी यदि कोई पुलिस एफआइआर नही लिखती है  तो आपकी एक शिकायत पर वह सस्पेंड हो जायेगा।

धारा 376 IPC रेप के आरोप में कोर्ट की कार्यवाही –

कोर्ट किसी भी केस का फ़ैसला आपके द्वारा लिखवाए गये एफ आइ आर साक्ष्य एवं सबूतों तथ अगवहोन के आधार पर तय करता है आप चाहे महिला हो या पुरुष दोषी हो या पीड़ित अगर आप अपना पक्ष सही रूप से कोर्ट में रख पाते है तभी आपको न्याय मिल पाता है।

धारा 376 IPC रेप के आरोप में पीड़िता को जुर्माना भत्ता – बहुत कम लोग इस बात से वाक़िफ़ है की महिलाओं को ऐसे में कोर्ट से अपने पर हुए जुल्म के लिए जुर्माने के तौर पर पैसा भी मिल सकता है जैसा की अपने अक्सर देखा होगा किसी भी केस  में जिसका टाइटल स्टेट वर्सेस होता है जब भी कोई जुर्म होता है तो वो स्टेट यानी राज्य सरकार के ख़िलाफ़ होता है तो ऐसे में सरकार हाई शिकायतकर्ता को जुर्माने के तौर पर पैसा देती है जोकि सिर्फ़ महिलाओं को ही धारा 354 IPC, धारा 376 IPC के केस में दिया जाता है यह राशि आपको एफ आइ आर होने के बाद हाई मिल जाता है और ऐसा नहीं है की यदि आप केस हार जाते है तो यह वापस करना होगा।कितन मिलेगा यह कोर्ट पर निर्भर करता है रेप केस में पीड़ित को 6 महीने के अंदर हाई मुआवज़ा दें अनिवार्य होता है यह एक लाख से सरूँ होकर कितना भी तय किया जा सकता है यह कोर्ट पर निर्भर करता है कि जुर्म के आधार पर वह क्या निर्धारित करती हैं।

धारा 376 IPC रेप के आरोप में बेल कैसे लें – अधिकतर केस  में यह पाया गया है की बेल चार्जशीट फैल होने के बाद ही  मिलती है लेकिन यदि आपके पास अपने बचाव में कोई ठोस सबूत है तो आपको पहले भी बेल मिल सकती है जैसे घटना वाले दिन आप कही बाहर थे या उस महिला ने आपको खुद उकसाया था जिसकी कोई विडीओ या ऑडीओ या महिला के मेडिकल जाँच में पुष्टि ना होने पर ही आपको पहले  से बेल  मिल सकती है।अधिकतर मामलों में बेल हाई कोर्ट से ही दी जाती है।

शादी का झाँसा देकर रेप का आरोप लगने पर बेल कैसे लें –
आजकल की मॉर्डन दुनिया में जाह महिला एवं परस एक साथ कम करते है घंटों तक एक दूसरे के साथ रहते है इसमें उनके बीच दोस्ती होना आम बात है  दोस्ती में धीरे धीरे नज़दीकी बढ़ने पर शारीरिक समबंध बनना भी कोई बहुत बड़ी बात नही है जिसके बाद महिला कई बार शादी का दबाव बनती है या पैसे ठगने की नियत से पुरुष पर रेप का आरोप लगा देती है, वैसे तो शादी का झाँसा देकर शारीरिक समबंध बनना रेप की श्रेणी में आता है लेकिन कई बार लड़का निर्दोष होकर भी इस आरोप में फँस जाता है एक केस जुलाई 2019 में सामने आया है जिसमें दिल्ली हाई कोर्ट का जजमेंट है 758/2019 DEEPTI VERMA V/S STATE AND ANR .इस जजमेंट के अनुसार किन हालातों में यदि लड़का किसी लड़की को झाँसा देकर संबंध बनाता है तो रेप नही माना जयेगा। इस निर्णय के आधार पर समझा जा सकता है।

  • यदि मेडिकल रिपोर्ट में रेप साबित नही हुआ है तो आप शारीरिक समबंध बनाने से इनकार भी कर सकते हैं।
  • यदि लड़की की उमर 18 वर्ष या उस से अधिक है और आपके पास कोई सम्बंध बनाने का सबूत है जो उसकी सहमति से हुआ है तो उसको पेस करें जिससे यह साबित हो जयेगा कि उसमें महिला की सहमति थी।
  • महिला की तरफ से पहल किया गया है इसका भी यदि कोई सबूत हो तो अवश्य पेश  करें  यदि कोई गवाह भी है तो उसको भी पेश  कर सकते है।
  • मेडिकल रिपोर्ट में पायी गयी कमियों के आधार पर भी आपको राहत मिल सकती है।
  • घरेलू मजबूरियों का हवाला देने पर भी बेल मिल सकती है।

     धन्यवाद 
    द्वारा – रेनू शुक्ला,  अधिवक्ता / समाजसेविका 

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