• Disclaimer
  • Privacy Policy
  • About Us
Saturday, August 2, 2025
A2Z KANOON
  • Home
  • Legal News
  • Judgements
  • Legal Formats
  • AIBE Material
    • AIBE Quiz
    • AIBE PREVIOUS YEAR PAPER PDF
    • AIBE Exam Previous Year Solved Question Papers
  • Contact Us
No Result
View All Result
  • Home
  • Legal News
  • Judgements
  • Legal Formats
  • AIBE Material
    • AIBE Quiz
    • AIBE PREVIOUS YEAR PAPER PDF
    • AIBE Exam Previous Year Solved Question Papers
  • Contact Us
No Result
View All Result
A2ZKANOON
No Result
View All Result
Home Legal News

How to fight a case without lawyer In India बिना वकील के कैसे लड़ें अपना मुकदमा

A2z bhartiy kanoon
0
SHARES
0
VIEWS

How to fight a case without  lawyer In India – बिना वकील के  मुकदमा  कैसे लड़ें

बिना वकील के अपना मुक़दमा स्वयं लड़ने की जानकारी देने से पहले यह राय देना अनिवार्य होगा कि यदि संभव हो तो अपने मुकदमे के लिए बिना जोखिम उठाए किसी वकील को  नियुक्त करने का प्रयास करें क्योंकि वकील आपके मुकदमे में ठीक से एवं उचित पैरवी कर सकते हैं। अपना केस खुद लड़ने का विकल्प आपातकाल या फिर आर्थिक तंगी के चलते  प्रयोग में लाया जा सकता है लेकिन प्रयास यही होना चाहिए कि आपका मुकदमा किसी अधिवक्ता की देखरेख में हो, क्योंकि सामने वाले पक्षकार द्वारा पैरवी के लिए कोई वकील तो रखा जाएगा आप किस हद तक उसका सामना करके खुद का बचाव कर पाएँगे यह कहना मुश्किल होगा।

पर जब कोई व्यक्ति किसी किसी सिविल या आपराधिक मामले (मुक़दमे) से घिर जाता है या दोषी बनाया जाता है और वकील की भारी फ़ीस चुका पाने में वह असमर्थ है तो धारा 32. के अनुसार विशेष मामलों में बिना वकील के उपस्थिति के व्यक्ति को न्यायालय की अनुमति से अपना मुक़दमा खुद लड़ने लड़ने का अधिकार है जो अदालत की अनुमति से होता है जिसे देने के लिए न्यायालय को शक्ति प्रदान है पर मुख्तारनामा (Power of Attorney) के आधार पर किसी अन्य (परिवार,मित्र,रिस्तेदार) की तरफ से केस नहीं लड़ा जा सकता है, स्वयं अपना केस लडने के लिए कोर्ट में व्यक्ति की व्यक्तिगत उपस्थिति आवश्यक है आप न्यायालय में अपने मुक़दमे के लिए वक़ील रखेंगे यह आपकी इच्छा पर निर्भर करता हैं जब आप मुकदमे के लिए किसी वक़ील को चुनते है तो वकील पत्र पर हस्ताक्षर करके वकील को अपने मुकदमे में प्रत्येक प्रकार के अधिकार सौंप देते हैं।

अधिवक्ता अधिनियम के अंतर्गत आप बगैर अधिवक्ता हुए विधि व्यवसाय नहीं कर सकते है  परंतु अपना मुकदमा खुद लड़ सकते हैं, यह आपका नैसर्गिक अधिकार है। न्यायालय आपको अपना मुकदमा लड़ने से कतई वंचित नहीं कर सकता है । बसर्ते आपको  न्यायालय से इसकी अनुमति लेनी पड़ती हैं।

न्यायाधीश से अनुमति लेना-

आप न्यायाधीश से आज्ञा लेने के उपरांत ही स्वयं के मुकदमे में पैरवी कर सकते हैं, परन्तु न्यायाधीश को आपको वकील नियुक्त करने का परामर्श देने का अधिकार है जो माननीय न्यायाधीश द्वारा  आपको दिया भी जा सकता हैं। जिसपर आप अपना पक्ष रखकर कह सकते है खुद ही पैरवी करने की अनुमति माँग सकते है एवं काग़ज़ी कार्यवाही करने एवं अपना पक्ष रखने की समस्त तैयारी के लिए उचित समय दिए जाने की माँग भी कर सकते है ।आपको चाहे सिविल या आपराधिक मामले दोषी ठहराया गया हो हर परिस्थिति में आपको वक़ील नियुक्त करने की न तो आवश्यकता होती है, न ही न्यायालय आपको वक़ील नियुक्त करने के लिए विवश करता है । वक़ील आप अपनी  सुविधा के लिए खुद चुनते करते हैं। किसी भी विवाद से निपटने के लिए आपको संवैधानिक जानकारियों की ज़रूरत होती है जो आम व्यक्ति को नहीं होती है न्याय प्रक्रिया में आपको किसी प्रकार की परेशानियों का सामना न करना पड़े एवं आप अपना पक्ष सही से रख पाएँ और आपको उचित न्याय के लिए सही मार्गदर्शन मिल सके इसलिए आप न्यायालय में पैरवी के लिए वक़ील नियुक्त करते हैं ।

इस पोस्ट के माध्यम से हम कुछ जानकारियाँ साझा करेंगे जिनकी सहायता से आप स्वयं के मुकदमे में पैरवी कर सकते हैं। यदि आपको विधि का ज्ञान नहीं है तो आपके लिए यह सब आसान नहीं होगा परन्तु यदि आपको थोड़ा भी क़ानूनी ज्ञान है तो आपको स्वयं का मुकदमा लड़ने में काफ़ी मदद मिल जाएगी। आपको अपना मुकदमा लड़ने के लिए केवल थोड़ा बहुत सामाजिक जानकारियां  एवं  साधारण तर्क का ज्ञान होना चाहिएसाथ ही कम से कम स्थानीय भाषा में आप निपुण होंने चाहिए  ताकि अपनी बात को भाषा की मदद से प्रभावी बनाकर पेश कर सकें। इसके साथ ही कुछ अन्य बातें जो आपको समझना होगा उसके लिए आप निम्न की मदद ले सकते है।

  • बेयर एक्ट
  • आपराधिक मामले में
  • भारतीय साक्ष्य अधिनियम-1872
  • दंड प्रक्रिया सहिंता -1973
  • भारतीय दंड संहिता – 1860

किसी भी अधिनियम पर बाज़ार में अलग अलग प्रकाशन की प्रकाशित बेयर एक्ट आसानी से मिल जाती हैं। जिनकी कीमत बहुत ही कम रखी जाती है जिन्हें आप बाज़ार से खरीद सकते हैं। इनकी भाषा विधि के प्रयोग में आने वाले कुछ चुने हुए आसान विधिक शब्दों द्वारा लिखी जाती है ताकि आसानी से समझ आ सके। आप उन धाराओं, उन अधिनियम को पढ़ें जिनके अन्तर्गत आपको आरोपी बनाया गया है।आपको पूरी जानकारी हासिल हो जाएगी।

भारतीय दंड सहिंता भारत में अपराधों एवं उनके लिए दंड बताती है। दंड प्रक्रिया सहिंता उन अपराधों में किस प्रकिया से होकर व्यक्ति को दंड तक ले जाया जाएगा, इसकी व्याख्या एवं मार्ग बताती है । साक्ष्य अधिनियम यह सुनिश्चित करता है कि किन किन साक्ष्यों को एवं किस तरह से प्रकिया में शामिल किया जाएगा तथा किस एविडेन्स पर आरोपी को सज़ा दी निर्धारित की जा सकती है।
उपर्युक्त तीनों अधिनियम किसी भी आपराधिक मामले में सबसे अहम भूमिका निभाते हैं। समस्त मुकदमें के निस्तारण की केंद्र बिंदु इन तीनों पर ही पर ही टिकी होती है।

कुछ महत्वपूर्ण तथ्य –
आपराधिक मामले में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने पर या पुलिस द्वारा  आपको बंदी बनाया जाने पर संविधान के अनुच्छेद 22 के अंतर्गत पुलिस को आपको गिरफ्तार करने के चौबीस घंटों के भीतर किसी भी क्षेत्राधिकार के न्यायालय में पेश करना अनिवार्य होता है।
आप पुलिस से अपनी एफआईआर की एक प्रति मांग सकते हैं। एफआईआर लेकर सबसे पहले उस घटना का विवरण, किन धाराओं में आपको निरूद्ध(बंधक) किया गया है अपराध की सूचना देने वाला कौन व्यक्ति है यह सब जानना आपके लिए ज़रूरी है।
पुलिस गिरफ्तारी के बाद बंदी व्यक्ति स्वयं अपनी जमानत याचिका लगा सकता है। आरोपी को सबसे पहले एफआईआर से यह मालूम करना होगा कि किन धाराओं एवं अधिनियम के अंतर्गत उस पर प्रकरण दर्ज हुआ है तथा वह अपराध जमानतीय है या गैरजमानतीय  है।
जमानती अपराध में मजिस्ट्रेट एवं पुलिस द्वारा जमानत दे दी जाती है पर गैरजमानती अपराध  में जमानत देना न देना न्यायालय पर निर्भर होता है।
न्यायालय से आप यह निवेदन कर सकते है कि पुलिस द्वारा आपको जमानत याचिका दाखिल करने के लिए थोड़ा समय दिया जाए । बाजार,कोर्ट परिसर एवं विधि सम्बन्धी दस्तावेज रखने वाली समस्त जगहो पर सभी अभिवचनों के फॉर्मेट आसानी से उपलब्ध रहते हैं आप उन अभिवचनों को खरीद कर न्यायालय में अपनी जमानत की याचिका लगा सकते है । याचिका बनाकर कोर्ट बाबू को दी जाती है, फिर मजिस्ट्रेट उस पर उचित संज्ञान लेते है। उपर्युक्त समस्त दिशा निर्देशों को यदि आप बखूबी समझकर निभा लेते है तो आपको उचित जानकारी एवं संज्ञान के साथ न्याय ज़रूर मिलेगा।

सिविल मामले में-
सिविल मामले में अपना मुकदमा स्वयं लड़ना थोड़ा सरल होता है, किसी भी सिविल मुकदमें  में यदि आपको स्वयं मुकदमा लड़ना है तो सिविल प्रक्रिया सहिंता अच्छे से समझिए एवं  यह देखिए कि आपके किस अधिकार का अतिक्रमण किया जा रहा है तथा  वह अधिकार किस अधिनियम के अंतर्गत आता है। सिविल मामले की समस्त कार्यवाही सी पी सी के अंतर्गत ही कि संचालित की जाती है।

 

Tags: A2Z bhartiy kanoon newsA2Z lawapna case khud kaise ladenhow fight a case without lawyerIndian Lawindian legal newsLegal informationlegal knowledgelegal news in indiamost inportent law for citizensnews IPC
Previous Post

महिला कर्मचारी ने लगाए यौन उत्पीड़न के आरोप, तो कंपनी ने नौकरी से निकाला, दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा दिया गया  मुआवज़ा देने का निर्देश 

Next Post

AIBE EXAM QUIZ BASED ON PREVIOUS YEAR QUESTION PAPER

Renu Shukla

Renu Shukla

Next Post
AIBE EXAM QUIZ BASED ON PREVIOUS YEAR QUESTION PAPER

AIBE EXAM QUIZ BASED ON PREVIOUS YEAR QUESTION PAPER

Comments 4

  1. HARISH KUMAR says:
    5 years ago

    मुझे दहेज उत्पीड़न

    Reply
  2. H. B. Singh. says:
    5 years ago

    Very nice and important awareness post,

    Thanks

    Reply
  3. Jatin says:
    5 years ago

    I have seen many party in persons after due study,self contesting and winning in SC,hc and other courts,tribunals, their cases better than lawyers freeing themselves from several nusances of lawyers.
    As such also even a villager cannot plead ignorance of laws.
    Courts need to help more to PIPS, instead of discouraging them.

    Reply
  4. Bhaskar Gupta says:
    5 years ago

    no doubt a good posting.here u have not mentioned about District Legal Aid Committee which give us legal assistance at free of cost.

    Reply

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  • October 2023
  • September 2023
  • August 2023
  • October 2022
  • December 2021
  • November 2021
  • February 2021
  • January 2021
  • December 2020
  • November 2020
  • October 2020
  • September 2020
  • August 2020
  • June 2020
  • May 2020
  • February 2020
  • Disclaimer
  • Privacy Policy
  • About Us

© 2023 a2zkanoon.in

No Result
View All Result
  • Home
  • Legal News
  • Judgements
  • Legal Formats
  • AIBE Material
    • AIBE Quiz
    • AIBE PREVIOUS YEAR PAPER PDF
    • AIBE Exam Previous Year Solved Question Papers
  • Contact Us

© 2023 a2zkanoon.in