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Home Legal News

How to defend yourself against a false FIR ?

How to defend yourself against a false FIR ?
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अपने ख़िलाफ़ हुई झूठी FIR में अपना बचाव  कैसे करें   ?
How to defend yourself against a false FIR ?

इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएँगे की यदि किसी ने आपके खिलाफ झूठी FIR लिखवा दी हैं तो आप अपना बचाव कैसे कर सकते है।

अक्सर समाज में देखा गया है कि कुछ लोग साजिश के तहत एवं गलत भावना रखते हुए किसी बेगुनाह के खिलाफ झूठी रिपोर्ट लिखा देते हैं, जिस पर पुलिस कार्रवाई करते हुए रिपोर्ट में इंगित किए व्यक्ति  को गिरफ्तार भी कर लेती है, ऐसे मामलों में आप अपना बचाव कैसे कर सकते है एवं अपना धन समय तथा जीवन की बर्बादी को कैसे रोककर  गिरफ़्तारी से बच सकते  है इस लेख के माध्यम से हम आपको बताने का प्रयास करेंगे ।

आधुनिक  समाज में ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो कानून का दुरुपयोग करना बहुत अच्छी तरह जानते हैं, अक्सर हम अपने आस पास मित्र एवं रिस्तेदारों या अख़बार व टीवी एवं अन्य माध्यम से  खबरें पढ़ते या सुनते हैं कि किस तरह सबल दबंग  एवं सम्पन्न व्यक्ति द्वारा किसी कमजोर को सताया एवं परेशान किया जा रहा है कई बार इन लोगों की हिम्मत इतनी बढ़ जाती है की क़ानून का दुरपयोग करके झूठी रिपोर्ट लिखाकर उन्हें क़ानूनी सिकंजे में फंसाने का काम भी आसानी से कर लेते हैं, ऐसा किसी के भी साथ हो सकता है, यदि आपके साथ कभी  ऐसा हो जाए तो क्या कानूनी रास्ता है, जिससे अपना बचाव कर सकते है।

हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से यही बताने का प्रयास करेंगे की यदि आपके ख़िलाफ़ कोई ग़लत या झूठी FIR दर्ज कराता है तो आप इससे कैसे बच सकते है आपके पास इससे बचने के लिए क्या क़ानूनी रास्ता है।

झूठी FIR का पता चलते ही आपका सबसे पहला कदम –

जब आपको पता चले की किसी व्यक्ति द्वारा आपके ख़िलाफ़ सजिस कर आपको फ़साने के लिए झूठी FIR दर्ज कराई गयी है तो सबसे पहले आप उसके ख़िलाफ़ पुलिस में सूचना दें, यह सचान आप लिखित में या पुलिस कंट्रोल रूम नम्बर 112 पर फ़ोन करके भी दर्ज करवा सकते है ज़रूरी नहीं है कि पुलिस आपकी बातों को संज्ञान में लेते हुए FIR दर्ज करे पर आप अपने बचाव में यह कदम उठा सकते है जिससे आगे की कार्यवाही में आपके बचाव में काम आ सकती है। साथ आप इसकी शिकायत वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को भी लिखित रूप में दे सकते है जहां भी शिकायत करें ध्यान रहे उनकी रिसीविंग आपके पास अवश्य होने चाहिए जिससे कोर्ट में आप साबित कर सकें की आपने अपने ख़िलाफ़ साजिस की सूचना पुलिस को  दी थी।  इससे आपका पक्ष मज़बूत होगा। साथ ही यदि पुलिस चाहे तो स्वयं FIR में इन्वेस्टिगेशन में ग़लत पाए जाने पर फ़ाइनल रिपोर्ट लगा कर  FIR रद्द कर सकती है।फिर आपका केस वही ख़त्म हो जाएगा आप कोर्ट का चक्कर लगाने से बच सकते है।

यदि आपकी शिकायत पर पुलिस कोई संज्ञान नहीं लेती है तो आप धारा 156 (3) CRPC में FIR करवा सकते है।
यदि आप गिरफ़्तार हो चुके हैं तो आपके बचाव में यह सभी कदम आपके परिवार का कोई भी सदस्य उठा सकता है। गिरफ़्तारी के मामले में बेल पर विशेष ध्यान रखें, यदि गिरफ़्तार नहीं हुए है तो अग्रिम ज़मानत करवा लें, जेल जाने से बचें ।

अन्य विकल्प –

सी.आर.पी.सी. की धारा 482 में इस तरह के मामलों को चैलेंज करने का प्रावधान दिया गया है, यदि किसी ने आपके खिलाफ किसी दुर्भावना या साजिस के चलते झूठी एफआईआर दर्ज करवा दी है तो इस धारा का इस्तेमाल करके आप अपना बचाव कर सकते है सी.आर.पी.सी.  की धारा 482 के तहत जिस व्यक्ति के खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज कराई जाती है उसे हाईकोर्ट से राहत मिल सकती है, कोर्ट एवं पुलिस के जरिए इस मामले में आपके खिलाफ कोई भी कार्रवाई तब तक स्थगित कर दी जाएगी जबतक आप पर दोष सिद्ध नहीं हो जाता है ।

सी.आर.पी.सी. की धारा 482-

इस धारा के अंतर्गत आप किसी वकील के माध्यम से हाईकोर्ट में प्रार्थनापत्र लगा सकते है  जिसके साथ  आप अपनी बेगुनाही के सबूत दे सकते हैं, आप वकील के माध्यम से अपने ख़िलाफ़ हुयी साजिस का एविडेंस तैयार कर सकते हैं, अगर आपके पक्ष में कोई गवाह है तो उसको अपने हक़ में ज़रूर पेश करें।

मामला कोर्ट के सामने आते ही यदि कोर्ट को लगता है कि आपने जो सबूत दिए हैं वो आपके पक्ष को मजबूत बनाते हैं तो पुलिस को तुरंत अपनी कार्रवाई रोकनी पड़ती है जिससे आप पुलिस की गिरफ़्तारी से बच जाते है तथा अपने बचाव में और सबूत इकट्ठा कर पेश करने का आपको पर्याप्त समय भी मिल जाता है।

हाईकोर्ट में अपील करने के बाद जबतक हाईकोर्ट में केस चलता है के दौरान पुलिस सम्बंधित मामले में बिना कोर्ट के आदेश के आपके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकती है ।

यहाँ तक कि अगर आपके खिलाफ वारंट भी जारी हो चुका होता है तो आप इन नियमों के अनुसार खुद को गिरफ्तार होने से भी बचा सकते हैं, सम्बंधित  मामले में आपकी गिरफ्तारी भी रोक दी जाएगी ।

इस स्थिति में आपको वकील के जरिए ही हाईकोर्ट की शरण में जाना होगा,वही एक रास्ता है जो आपका बचाव कर सकता है एक वकील हाई आपके द्वारा दिए गये सभी साक्ष्यों को अच्छी तरह से कोर्ट में आपके बचाव के लिए पेश कर सकता है अगर हाई कोर्ट में दिए गये सभी तथ्य सही पाए जाते है तो ही हाई कोर्ट आपके प्रार्थना पत्र पर गौर करती है इस स्थिति में केस चलने के दौरान न तो  आपको गिरफ्तार किया जा सकता है न ही पुलिस किसी भी प्रकार से आपको सम्बंधित मामले में परेशान कर सकती है साथ हाई कोर्ट जांच अधिकारी को जांच के लिए जरूरी दिशा-निर्देश भी दे सकती है।जिससे आपको अपने केस में और राहत मिल जाएगी।

केस जीतने पर मुआवज़ा –

यदि आप यह साबित कर ले जाते है की आपके ख़िलाफ़ किया गया केस फ़र्ज़ी था एवं आप बइज्जत बारी हो जाते है ऐसी स्थिति में आप अपने साथ हुए सभी हानि जैसे समय की बर्बादी, पैसे की बर्बादी शारीरिक मेहनत सामाजिक एवं मानसिक आघात आदि के मुआवज़े का क्लेम भी कोर्ट द्वारा कर सकते है।

आशा करते हैं आपको हमारा लेख पसंद आया होगा इसी तरह की अन्य मुद्दों पर लेख पाने के लिए कृपया हमें कॉमेंट करके बताएँ – धन्यवाद 
द्वारा – रेनू शुक्ला,  अधिवक्ता / समाजसेविका 

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Comments 8

  1. Raj Singh says:
    5 years ago

    It’s very valuable information for the people

    Reply
    • Renu Shukla says:
      5 years ago

      Thank you for your valuable feedback

      Reply
  2. Benjamin Raj says:
    5 years ago

    Great articles! Informative, candid and useful.

    Reply
    • Renu Shukla says:
      5 years ago

      Thank you for your valuable feedback

      Reply
  3. Dev Dutt Sharma says:
    5 years ago

    Nice information
    This really helpful

    Reply
    • Renu Shukla says:
      5 years ago

      Thank you for your valuable feedback

      Reply
  4. Rajesh Sehgal says:
    5 years ago

    I appreciate your time and efforts to write this article to help victims of false FIRs. The menace of false FIRs remains unchecked as many malicious complainants are not prosecuted/punished for lodging false FIRs. False FIRs ruin lives of innocents in many cases. I have written a book on this issue only.

    Reply
    • Renu Shukla says:
      5 years ago

      Thank you for your feedback, what is the name of your book.?

      Reply

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