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Breakup & Rape High Court Mumbai लड़कियाँ नही लगा सकती है झूठा आरोप

Rape & Breakup
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Breakup & Rape High Court Mumbai लड़कियाँ नही लगा सकती है झूठा आरोप

मुंबई हाई कोर्ट – 21 January 2017, को मुंबई हाई कोर्ट ने Rape के मामले में 21 वर्षीय युवक को गिरफ़्तारी से बचने के लिए अग्रिम ज़मानत देते हुए सम्बंधित केस पर अपना फ़ैसला सुनाया है जो कि निम्न है – Section 376 IPC. Judgement. 
BOMBAY HIGH COURT

Before :- Mrs. Mridula Bhatkar, J

Akshay Manoj jaisinghani – Applicant

Versus

State of Maharashtra – Respondent

Anticipatory Bail Application No . 2221 of 2016. D/d.9.1.2017.

For the Applicant ;- Rajeev Patil, Sr. Advocate i/B R.S. Kate, Advocate.

For the Respondent – State :- Ms N.S Jain APP.

मुंबई हाई कोर्ट द्वारा 21 January 2017, को एक ऐसा फ़ैसला सुनाया गया जो लीक से हटके था जैसा कि आकार देखा गया है की दो वयस्क (लड़का लड़की )पहले तो अपनी मर्ज़ी से साथ में रहते है आपसी सहमति से समबंध बनाते है फिर जब बाद में किसी कारण वश अलग हो जाते है उनके बीच दूरियाँ आ जाती है तो लड़की लदके पर कई तरह के इल्ज़ाम लगती है जिसमें सबसे आम इल्ज़ाम है रेप का अधिकार लड़कियों द्वारा शादी का झाँसा देकर शारीरिक समबंध बनाने व रेप करनी की बात सामने आती है इसी तरह के एक केस का फ़ैसला मुंबई हाई कोर्ट द्वारा दिया गया है जिसपर यह लेख आधारित है।सम्बंधित ब्रेकप के बाद Rape केस में उसकी पूर्व girlfriend  ने Rape का केस दर्ज करवाया था जोकि Breakup के बाद हुआ था।

शादी का झाँसा दे कर समबंध बनाना Rape नहीं –

9 जुलाई 2019 को दिल्ली है कोर्ट ने एक अहम फ़ैसला breakup के बाद Rape  पर आधारित एक केस में फ़ैसला सुनाया है यह फ़ैसला जस्टिस मृदुला भटनागर द्वारा सुनाया गया है DEEPTI VERMA V/S  State and ANR. जस्टिस मृदुला का कहना है कि यदि एक पढ़ी लिखी वयस्क लड़की अपनी मर्ज़ी से किसी लड़के से शादी से पहले समबंध बनाती है तो उसे अपने फ़ैसले की ज़िम्मेदारी भी स्वयं लेनी चाहिए इस तरह के केस में प्रलोभन की बात समझ में आती है पर बिना किसी सबूत के की लड़की को किस हैड तक प्रलोभन दिया गया है किस प्रकार से दिया गया है कि वह समबंध बनाने को तैयार हो गयी ऐसे मामले में  शादी का वादा प्रलोभन   नहीं माना जा सकता है।एवं इस तरह के मामले जिसमें शादी का झाँसा देकर लड़का लड़की से समबंध बनाता है तो वह रेप नहीं माना जाएगा क्यूँकि इसमें लड़की की मर्ज़ी शामिल थी। कोर्ट ने इस तरफ भी ध्यान आकर्षित किया की समबंध ख़त्म होने के बाद आजकल इस तरह के आरोप लगने का चलन बढ़ता जा रहा है ऐसे में अदालत को निष्पक्ष तरीक़े से दोनों पक्षों की बात सुननी पड़ती है जिसमें आरोपी के अधिकार एवं पीडिता का दर्द दोनो को ध्यान में रखते हुए फ़ैसला करना पड़ता है साथ ही इस प्रकार के केस  में पहले से हुए फ़ैसले को भी ध्यान में रखा जाता है जैसे की पहले भी केस की ज़िक्र में कहा गया है कि यदि लड़की वयस्क एवं पढ़ी लिखी है तो उसे शादी से पहले बनाए गए सम्बन्धों का अंजाम भी पता होता है इसलिए Rape  and Breakup की थ्योरी को लेकर सरासर ग़लत है।युवाओं को अपने फ़ैसले की  ज़िम्मेदारी खुद लेनी चाहिए।जिस दिन समाज के युवा अपने इस तरह की गलती का ज़िम्मेदार खुद समझने लगेंगे एवं अपनी ज़िम्मेदारी का आभास हो जाएगा समाज में बढ़ रहे इस तरह के आरोपों से छुटकारा पाया जा सकता है।

Breakup के बाद Rape एक सामाजिक नज़रिया :-

केस की सुनवाई करते हुए जज ने भी कहा एवं समाज में बदलते परिवेश के अनुसार आजकल लड़का लड़की का बिना शादी के साथ में रहना  घूमना फिरना एवं समबंध बनाना एक आम  बात होती जा रही है फिर भी कुछ मामलों में आज भी समाज से सारी ज़िम्मेदारी एवं दायित्व लड़की के ऊपर छोड़ रखा है, जिसमें सबसे अहम ज़िम्मेदारी है शादी तक लड़की के वर्जिन रहने की ज़िम्मेदारी, बलदते परिवेश एवं  सामाजिक दबाव के चलते यह लड़कियों पर एक बोझ सा बनता जा रहा है, जिसके चलते जब कोई इस प्रकार का मामला सामने आता है तो लड़कियाँ अपने बचाव में एवं पारिवारिक दबाव में आकर भी इस तरह का दोष मड़ने के लिए मजबूर हो जाती है समाज में बढ़ते बदलाव एवं रहन सहन में आए परिवर्तन की वजह से लड़का लड़की का इस तरह से सहमति से समबंध बनाना कोई दोषपूर्ण कृत्य की श्रेणी में नही माना जाता है जब दो व्यक्ति (लड़का लड़की) एक दूसरे से प्रेम करते है ऐसे में वो ये भूल जाते है कि उनके बीच जो भी हो रहा है सही है या ग़लत सही ग़लत का फ़र्क़ तब समझ आता है जब उनके बीच रिश्ता ख़त्म हो जाता है या दूरी आ जाती है तब लड़का / लड़की दोनो अपनी  अपनी ज़िम्मेदारी से बचने के लिए एक दूसरे  को दोष देने लगते है,एवं अपने किए सभी फ़ैसले की ज़िम्मेदारी से बचने के लिए एक दूसरे पर इल्ज़ाम लगते है क्यूँकि लड़कियों पर सामाजिक ज़िम्मेदारी अधिक होती है इसलिए उन्हें अपने बचाव में लड़कों की अपेक्षा यह सब अधिक करना  पड़ता है।

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एक समाजसेविका की कलम से –
आशा करते है आपको हमारा लेख पसंद आया होगा-
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