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Accident caused by railway रेलवे द्वारा हुई दुर्घटना पर पाएँ मुआवज़ा – जानें कैसे

Accident caused by railway
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Accident caused by railway – know how to get compensation

मौजूदा लेख के द्वारा हम यह बताने की कोशिस करेंगे  कि रेल प्रशासन कब रेल-दुर्घटना के मामलों में क्षतिपूर्ति (Compensation) देता है। साथ ही यह भी जानेंगे  कि रेल अधिनियम, 1989 के अंतर्गत ‘दुर्घटना’ किसे कहते है, जिसके चलते रेल प्रशासन पर क्षतिपूर्ति देने का दायित्व बनता है।

रेल प्रशासन किन मामलों को मानता है दुर्घटना –
यदि हम रेल अधिनियम, 1989 पर गौर करें तो हम यह पाएंगे कि इस अधिनियम का ‘अध्याय 13’, ‘दुघर्टना के कारण यात्रियों की मृत्यु एवं  क्षति के लिए रेल प्रशासन के दायित्व’ के विषय में बताता है, इस अध्याय की प्रथम धारा 123 है, जो परिभाषाओं के सम्बन्ध में उल्लेखित है। इस धारा का खंड (क) यह कहता है कि ‘दुर्घटना’, उन मामलों को कहा जायेगा जो धारा 124 में वर्णित किया गया हैं। और धारा 124 यह बताती है कि रेल प्रशासन के दायित्व की सीमा क्या है ।जिसमें यह वर्णित है कि  रेल प्रशासन क्षतिपूर्ति (Compensation) देने के लिए बाध्य है, “जब किसी रेल के काम करने के कार्यकाल में कोई दुघर्टना होती है, जैसे  या तो ऐसी रेलगाड़ियों के बीच टक्कर हो जो एक यात्रियों का वहन करने वाली रेलगाड़ी है अथवा यात्रियों का वहन करने वाली किसी रेलगाड़ी या ऐसी रेलगाड़ी का कोई भाग पटरी से उतर गया हो या कोई अन्य दुघर्टना हुई हो”  अनपेक्षित घटनाएँ (Untoward Incidents) क्या हैं- दुर्घटना के मामले के इसके अलावा, रेल अधिनियम, 1989 की धारा 124-ए के तहत [जोकि 01-अगस्त-1994 से प्रभाव में है], रेल प्रशासन, उन रेल यात्रियों को जानमाल की हानि या चोट हेतु क्षतिपूर्ति  का भुगतान करने के लिए भी उत्तरदायी है, जो किसी ‘अनपेक्षित घटना’ (Untoward Incident) का शिकार हुए हैं।

‘अनपेक्षित घटना’ (Untoward Incident) क्या है –
‘अनपेक्षित घटना’ को अधिनियम की धारा 123 (ग़) (1) एवं (2) के अंतर्गत परिभाषित किया गया है। ‘अनपेक्षित घटना’ (Untoward Incident) का मतलब है,— (1) यात्रियों को वहन करने वाली किसी भी रेलगाड़ी में अथवा  उस पर किसी रेलवे  स्टेशन की परिसीमा के भीतर जैसे -यात्री सामान घर प्रतीक्षालय, अथवा आरक्षण या बुकिंग कायार्लय में या किसी प्लेटफार्म पर या किसी स्टेशन की परिसीमा के भीतर अन्य स्थान में किसी व्यक्ति द्वारा,— (i) आतंकवादी एवं  विध्वंसक क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम, 1987 (1987 का 28) की धारा 3 की उपधारा (1) के अर्थ में कोई आतंकवादी कार्य किया जाना;  (ii) कोई हिंसात्मक आक्रमण (Violent attack) किया जाना या गोली मारना (Shoot-out) लूट (Robbery) डकैती (Dacoity) किया जाना; (iii) बलवा (Rioting) किया जाना, या आग लगाया जाना (Arson); (2) अथवा यात्रियों को वहन करने वाली किसी रेलगाड़ी से किसी व्यक्ति का दुघर्टनावश गिरकर ज़ख़्मी हो जाना आदि ।

रेल प्रशासन को केवल उन्हीं मामलों में ही क्षतिपूर्ति  देने के लिया बाध्य किया जा सकता है जहाँ दुर्घटनाओं का स्वभाव, ‘धारा 124’ में उल्लिखित परिस्थितियों जैसा हो या ‘धारा 123 (ग़) (1) एवं (2)’ में उल्लिखित ‘अनपेक्षित घटना’ (Untoward Incident) के समान  हो। रेल का दुर्घटना एवं ‘अनपेक्षित घटना’ (Untoward Incident) के लिए क्षतिपूर्ति  देने का दायित्व धारा 124 यह भी बताती है कि यह क्षतिपूर्ति  (Compensation) तब भी रेल प्रशासन द्वारा दिया जायेगा जब, “चाहे रेल प्रशासन की ओर से ऐसा कोई दोषपूर्ण कार्य, उपेक्षा या व्यतिक्रम हुआ हो या न भी हुआ हो”।

इस क्षतिपूर्ति की सीमा के बारे में धारा 124 यह भी दर्शाती है कि, “रेल प्रशासन,  ऐसी दुघर्टना के परिणामस्वरूप मरने वाले यात्री की मृत्यु के कारण हुई हानि के लिए एवं ऐसी दुघर्टना के परिणामस्वरूप हुई वैयक्तिक क्षति एवं  यात्री के स्वामित्व में ऐसे माल की जो उसके साथ उस कक्ष में या उस रेलगाड़ी में हो, उन समस्त नुकसान, एवं  क्षय हेतु उस सीमा तक, जो मुनासिब है केवल उस सीमा तक ही, प्रतिकर देने के दायित्वाधीन माना जाएगा ।”

“जब किसी रेल के कायर्करण के अनुक्रम में कोई अनपेक्षित घटना होती है तब चाहे रेल प्रशासन की ओर से ऐसा कोई दोषपूर्ण कार्य, हुआ हो या न हुआ हो, जिसका उस यात्री को जो उससे क्षतिग्रस्त हुआ है या उस यात्री के जिसकी मृत्यु हो गई है, आश्रित को उसके बारे में अनुयोजन करने एवं नुक़सान की वसूली  करने के लिए हकदार बनाता है,

कब रेल प्रशासन प्रतिकर देने हेतु बाध्य नहीं होगा –
धारा 124 के अंतर्गत तो रेल प्रशासन प्रतिकर देने के लिए तभी बाध्य  होगा (यदि उस धारा की समस्त शर्तें पूरी हो जाएँ)। लेकिन, धारा 124A यह स्पष्ट करती है कि कौनसी घटनाएँ, ‘अनपेक्षित घटना’ (Untoward Incident) नहीं मानी जाएगी, और रेल प्रशासन द्वारा कोई प्रतिकर देय नहीं होगा, यदि यात्री की निम्नलिखित कारणों से  मृत्यु होती है अथवा उसको किसी भी प्रकार से क्षति होती है, – (क) उसके द्वारा आत्महत्या किया गया या आत्महत्या का प्रयत्न किया गया  (ख) उसके द्वारा स्वयं को जानबूझकर पहुंचाई गई क्षति; (ग) उसके द्वारा  किया गया आपराधिक कार्य; (घ) उसके द्वारा नशे की हालत में किया गया कोई कार्य; (ङ) कोई प्राकृतिक कारण या बीमारी या  चिकित्सीय या शल्य चिकित्सीय उपचार जब तक कि ऐसा उपचार उक्त अनपेक्षित घटना द्वारा हुई क्षित के लिए आवश्यक नहीं हो जाता है।

बीते 8 मई 2020 को कुछ श्रमिक नांदेड़ डिवीजन में बदलापुर से करमद जो लगभग 150 किलोमीटर दूर है पैदल जा रहे थे । लगभग 45 किलोमीटर चलने के बाद वे कुछ आराम करने के लिए रुक गए और रेलवे पटरियों पर ही सो गए। इसके बाद यह दर्दनाक हादसा हुआ जब सुबह करीब 5:15 बजे एक मालगाड़ी उनके ऊपर से गुजरी जिससे उनकी मृत्यु हो गयी थी ।मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो जहाँ चौदह मजदूरों की मौके पर ही मौत हो गई थी वहीँ दो अन्य मजदूरों ने बाद में दम तोड़ दिया था। ये मज़दूर मध्यप्रदेश लौटने के लिए “श्रमिक स्पेशल” ट्रेन में सवार होने के लिए जालौन से भुसावल की ओर पैदल यात्रा कर रहे थे।

क्या इन श्रमिकों को मिलेगा प्रतिकर-
धारा 123 (ग़) (1) एवं (2), धारा 124 एवं धारा 124A को पढने के उपरांत यह अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि रेल प्रशासन, इन श्रमिकों को क्षतिपूर्ति  देने के लिए बाध्य नहीं है, क्योंकि यह हादसा/दुर्घटना/एवं इन श्रमिकों की मौत, रेल अधिनियम, 1989 के अनुसार एक ‘दुर्घटना’ या ‘अनपेक्षित घटना’ (Untoward Incident) के दायरे में नहीं आती  है, इसलिए रेल प्रशासन पर क्षतिपूर्ति  देने का कोई दायित्व नहीं बनता है वास्तविकता यह भी है की श्रमिकों द्वारा इस प्रकार से रेल की पटरियों पर चलना, रेल अधिनियम, 1989 की धारा 147 के अनुसार एक अपराध की श्रेणी में आता है। रेलवे की यह धारा किसी व्यक्ति द्वारा रेल पटरी पर या उसके किसी भाग में विधिपूर्ण अधिकार के बिना प्रवेश करने के कृत्य को छह मास तक के कारावास से या जुर्माने या दोनों से दण्डित करने का प्रावधान करती है  है। इस प्रकार जब व्यक्ति द्वारा स्वयं को क्षति पहुंचाई जाए या उसका अपना आपराधिक कार्य हो। यही नहीं, पटरियों पर सोने के मामले एवं उसके बाद  हुई दुर्घटना, रेलवे अधिनियम या उसके नियमों के अंतर्गत, रेलवे की गलती से हुए नहीं माने जाएँगे  और न ही ऐसे मामलों में रेलवे प्रशासन की ओर से कोई क्षतिपूर्ति  देय होता है।

मज़दूरों को कैसे मिला क्षतिपूर्ति –
इस पूरे मामले को ध्यान में रखते हुए  राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने इस मामले में रेल प्रशासन को नोटिस न जारी करते हुए मुख्य सचिव, महाराष्ट्र सरकार एवं  जिला मजिस्ट्रेट, औरंगाबाद को नोटिस जारी किया था । जिसका  कारण साफ़ है कि यह हादसा, रेल अधिनियम, 1989 एवं सम्बंधित नियमों के मुताबिक, न तो रेल प्रशासन के कारण हुआ, और न ही रेल प्रशासन ऐसी दुर्घटनाओं के मामलों में प्रतिकर (Compensation) देने को बाध्य  है। यही कारण है जिसकी वजह से  महाराष्ट्र सरकार ने पीड़ितों के परिवारों हेतु मुआवजे की घोषणा की है, न कि रेल प्रशासन द्वारा,  जबकि कार्यपालिका ऐसे मामलों में मुआवजे/क्षतिपूर्ति का भुगतान करने के लिए स्वतंत्र है (जैसे कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा किया गया ), पर यदि उन्हें ऐसा करना आवश्यक लगे तो,  और यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12-मई-2020 को इस हादसे में मारे गए 16 प्रवासी मजदूरों में से प्रत्येक के परिजनों को 2-2 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है। अख़बार में छपी खबरों एवं अन्य मीडिया सूत्रों के मुताबिक यह बात सामने आयी है कि पीएम राष्ट्रीय राहत कोष से यह क्षतिपूर्ति /मुआवजा दिया जाएगा। वहीँ, गंभीर रूप से ज़ख़्मी  लोगों को 50,000-50,000 रुपये प्रदान किए जाएंगे। जबकि इस से सम्बंधित किसी भी क्षतिपूर्ति की कोई घोषणा रेल प्रशासन की तरफ से नहीं की गयी है।

ध्यान रखने योग्य बातें –
इस पोस्ट के माध्यम से हमने रेलवे द्वारा हुयी किसी भी घटना एवं दुर्घटना पर मुआवज़ा कैसे और कहाँ से प्राप्त करें इसकी जानकारी साझा की है कोई भी घटना एवं दुर्घटना होना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण होता है व्यक्ति थोड़ी सजगता एवं सावधानी बरते तो जीवन में कई घटनाओं/ दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है, जिसका सबसे बड़ा उदाहरण हाल में हुयी मज़दूरों के साथ दुर्घटना सबसे बड़ा सबक़ है। जिसकी चर्चा इस पोस्ट में की गयी है।हम सबका जीवन अनमोल है उसकी कोई क़ीमत नहीं लगायी जा सकती न ही पैसों से किसी व्यक्ति की कमी पूरी की जा सकती है।इसलिए सावधानी ही सबसे बड़ी सुरक्षा कवच है।

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एक समाजसेविका की कलम से –
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