दो वयस्कों के बीच शादी का कथित झूठा वादा कर बनाए गये यौन संबंध में लड़के पर पूरा दोष डालना ठीक नहीं” हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय
It is not fair to just blame the boy for having a mutual consent between two adults.
दो वयस्कों के बीच शादी का कथित झूठा वादा कर बनाए गये यौन संबंध में लड़के पर पूरा दोष डालना ठीक नहीं” हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय, एक तरफ़ जहां देश में जाती धर्म का मुद्दा तूल पकड़ रहा है तथा जबरन धर्म परिवर्तन कराने एवं लव जिहाद जैसे मुद्दों पर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जेल एवं जुर्माने का क़ानून लागू किया जा रहा है वही हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा बुधवार (25 नवंबर) को एक ऐसे शख्स को जमानत दी गयी है, जिसने कथित रूप से मुस्लिम होने के बावजूद एक हिंदू होने का नाटक किया, तथा बाद में एक महिला से शादी का वादा करके, उसके साथ यौन संबंध स्थापित किए जिसके बाद में उसे छोड़ दिया। याचिकाकर्ता को महिला पुलिस थाना, ऊना, जिला ऊना, हिमाचल प्रदेश में भारतीय दंड संहिता, 1860, 506, 419, 201, धारा 34 के तहत दर्ज एफआईआर में गिरफ्तार किया गया था। मामले की सुनवाई जस्टिस अनूप चितकारा की खंडपीठ द्वारा की गयी ।
याचिकाकर्ता पर आरोप था कि उसने महिला को अपना नाम विक्की शर्मा बताया था, जबकि वह मुस्लिम था एवं उसका असली नाम अब्दुल रहमान था। कथित तौर पर, अपनी पहचान छुपाते हुए, याचिकाकर्ता अब्दुल रहमान @ विक्की शर्मा उसे प्रलोभन देता रहा एवं उज्ज्वल भविष्य के सपने दिखाता रहा। पीड़िता द्वारा कहा गया कि वह उसके जाल में फंस गई। उसने उससे शादी का वादा किया और इसी के बहाने कई बार उसके साथ सहवास किया। कथित पीड़िता ने अब्दुल रहमान को 1,20,000 रुपए भी दिए थे। इसके अलावा, पीड़िता ने उसे 10,000, 5,000, और 50,000 रुपए भी दिए थे। एक दोस्त के माध्यम से, याचिकाकर्ता की असलियत का पता चलने पर, कथित पीड़िता दंग रह गयी । संदेह को सत्यापित करने के लिए, उसने तलवाड़ा में अब्दुल रहमान के घर का दौरा किया एवं उसके परिवार के सदस्यों को सब कुछ बताया। परिवार के सदस्यों एवं अब्दुल रहमान की बहनों के अब्दुल रहमान के साथ उसकी शादी कराने से, इस आधार पर मना कर दिया कि वह अनुसूचित जाति की थी। इस बीच, अब्दुल रहमान घर पहुंचा एवं उसे गंदी एवं अभद्र गालियां दीं। उसने उसे कमरे के अंदर खींच कर, बेरहमी से पीटा भी । बड़ी कोशिशों के बाद, वह खुद को अब्दुल रहमान के चंगुल से बचा पाई और वहाँ से बचकर निकली । अब्दुल रहमान द्वारा उसे धमकी भी दी गयी कि यदि वह उसके घर दोबारा आने की हिम्मत करेगी तो वह उस पर तेजाब फेंक देगा। जिसकपर न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, “पीड़िता की उम्र 21 वर्ष है। वह 10 + 2 पास करने के बाद कोर्स कर रही थी। शिकायत में, याचिकाकर्ता द्वारा उसके परिवार एवं उसके माता-पिता के समक्ष शादी के प्रस्ताव को आगे बढ़ाने पर पूरी तरह चुप्पी है। इसके बजाय याचिकाकर्ता ने खुद आरोपी के घर का दौरा भी किया ।”हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने आगे यह भी कहा, “जहां तक पीड़ित द्वारा कार खरीदने के लिए पैसे देने के आरोपों का संबंध है, पीड़िता उस स्रोत को नहीं बता रही है, जिससे उसने इतनी बड़ी राशि पाई थी, और यह उसका मामला नहीं है कि वह एक कामकाजी लड़की है। दोनों, लड़का एवं लड़की, ने जब पहली बार सहवास किया, वे वयस्क हो चुके थे। तथा दोनो भली भाँति जानते थे कि वे क्या कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में, दो वयस्कों के बीच शादी का कथित झूठा वादा कर बनाए गये यौन संबंध में लड़के पर पूरा दोष डालना ठीक नहीं” जमानत के लिए लड़के पर पूरा दोष डालना, ज्यादती होगी। याचिकाकर्ता की पहचान छिपाने एवं पीडि़ता को लुभाने के बारे में, अदालत ने कहा कि इस तथ्य को “मुकदमे के दौरान स्थापित करने की आवश्यकता है और याचिकाकर्ता इन अपुष्ट आरोपों के आधार पर आगे कैद में रखना अन्याय होगा।” अंत में, अदालत ने कहा कि पूरे साक्ष्य का विश्लेषण न तो अभियुक्त को आगे कैद में रखने को सही ठहराता है, न ही किसी महत्वपूर्ण उद्देश्य को प्राप्त करने वाला है। मामले के गुण-दोष, जांच के चरण एवं पहले से चल रही कैद की अवधि पर टिप्पणी किए बिना, अदालत ने कहा कि यह “जमानत का मामला है।” जमानत की शर्त के रूप में, याचिकाकर्ता को निर्देशित किया गया है कि – * वह पीड़िता को न तो घूरेगा, न ही पीछा करेगा, कोई इशारे नहीं करेगा, टिप्पणी नहीं करेगा, कॉल, संपर्क मैसेज नहीं देगा, न तो शारीरिक रूप से, या फोन कॉल या किसी अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से, ऐसा करेगा। न ही पीड़िता के घर के आसपास घूमेगा। याचिकाकर्ता पीड़िता से संपर्क नहीं करेगा। * याचिकाकर्ता के पास यदि कोई हथियार है, तो आज से 30 दिनों के भीतर संबंधित प्राधिकारी को गोला बारूद, आग्नेयास्त्र एवं शष्त्र लाइसेंस को सौंप देगा। भारतीय शस्त्र अधिनियम, 1959 के प्रावधानों के अधीन, याचिकाकर्ता इस मामले में बरी होने के बाद नवीकरण एवं इसे वापस लेने का हकदार भी होगा। केस टाइटिल – अब्दुल रहमान बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य [Cr.MP (एम) नंबर 2064 ऑफ 2020]
नोट – इस तरह का मामला यह कोई पहला मामला नहीं है हम अक्सर अख़बारों एवं टीवी चैनल के माध्यम से सुनते एवं देखते पढ़ते आए हैं की लड़कियों को बहला फुसला कर झाँसा देकर या डरा धमकाकर उनका शोषण किया जा रहा है।जबकि महिलाओं के हित एवं सुरक्षा में बहुत कठोर क़ानून बनाए जा चुके हैं।पर महिलाएँ उनका उपयोग आज भी सही से नही कर पा रहीं है या यूँ कहें की महिलाओं में उतनी जागरूकता आत्मनिर्भरता एवं सही फ़ैसला लेने की मानसिकता का विकास अभी भी पूर्ण रूप से नहीं हो पाया है जिसकी वजह से आज भी महिलाओं को इस सबसे गुजरना पड़ता है।ज़रूरत है अपने घर के बच्चियों एवं महिलाओं में ऐसी परवरिश एवं सोच पैदा करने की जिससे वह सही और ग़लत का फ़र्क़ समझ सकें किसी के बहकावे में न आएँ तथा अपने जीवन में सही फ़ैसले ले सकें। तभी इस सबसे महिलाओं को छुटकारा मिल सकता है।
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धन्यवाद
द्वारा – रेनू शुक्ला, अधिवक्ता / समाजसेविका
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सत्यमेव जयते
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